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आभार सम्प्रत्यस्ति न केवली किल कलौ त्रैलोक्यचूडामणिस्तद्वाचः परमासतेऽत्र भरतक्षेत्र जगद्योतिका । सद्रत्नत्रयधारिणो यतिवरास्तेषां समालम्बनं,
तत्पूजा जिनवाचिपूजनमतः साक्षज्जिनः पूजितः ॥ पद्मनंदी पं० ॥ वर्तमान में इस कलिकाल में तीन लोक के पूज्य केवली भगवान् इस भरतक्षेत्र में साक्षात् नहीं हैं तथापि ममस्त भरतक्षेत्र में जगत्प्रकाशिनी केवली भगवान् को वाणी मौजद है तथा उस वाणी के आधारस्तम्भ श्रेष्ठ रत्नत्रयधारी मुनि भी हैं । इसलिए उस मुनियों का पूजन तो सरस्वती का पूजन है, तथा सरस्वती का पूजन साक्षात् केवली भगवान् का पूजन है ।
आर्ष परम्परा की रक्षा करते हुए आगम पथ पर चलना भव्यात्माओं का कर्तव्य है । तीर्थकर के द्वारा प्रत्यक्ष देखी गई, दिव्यध्वनि में प्रस्फुटित तथा गणधर द्वारा गुन्थित वह महान् आचार्यों द्वारा प्रसारित जिनवाणी की रक्षा प्रचार-प्रसार मार्ग प्रभावना नामक एक भावना तथा प्रभावना नामक सम्यग्दर्शन का अंग है।
जैन-न्याय के प्रकाण्ड विद्वान् डॉ० दरबारीलाल जी कोठिया ने इस आप्तपरीक्षा का सम्पादन और अनुवाद किया है। प्रस्तावना महत्त्वपूर्ण है । उनका दर्शन शास्त्र का तुलनात्मक अध्ययन गम्भीर है। विद्वान डॉ० कोठिया जी के हृदय से आभारी हूँ कि उन्होंने इस कृति को भारतवर्षीय अनेकान्त विद्वत्परिषद् को छापने की अनुमति दी है । भविष्य में भी उनसे इसी प्रकार सहयोग मिलेगा इसी आशा के साथ उनका पुनः आभार मानती हूँ।
युगप्रमुख आचार्यश्री के हीरक जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में हमें जिनवाणी के प्रसार के लिए एक अपूर्व अवसर प्राप्त हुआ। वर्तमान युग में आचार्यश्री ने समाज व देश के लिए अपना जो त्याग और दया का अनुदान दिया है वह भारत के इतिहास में चिरस्मरणीय रहेगा । ग्रन्थ प्रकाशनार्थ हमारे सान्निध्य या नेतृत्व प्रदाता पूज्य उपाध्याय श्री भरतसागरजी महाराज व निर्देशिका जिन्होंने परिश्रम द्वारा ग्रन्थों को खोजकर विशेष सहयोग दिया, ऐसी पूज्या आयिका स्याद्वादमती माताजी के लिए मैं शत-शत नमोस्तु-वंदामि अर्पण करती हैं। साथ ही त्यागीवर्ग, जिन्होंने उचित निर्देशन दिया उनको शत-शत नमन करती हूँ।
यथासमय शुद्ध ग्रन्थ प्रकाशित करने वाले वर्द्धमान मुद्रणालय की भी मैं आभारी हूँ। अन्त में प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप में सभी सहयोगियों के लिए कृतज्ञता व्यक्त करते हुए सत्य जिनशासन की, जिनागम की भविष्य में इसी प्रकार रक्षा करते रहें, ऐसी भावना करती हूँ।
ब्र० प्रभा पाटनी संघस्थ
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