Book Title: Anusandhan 2019 10 SrNo 78
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 20
________________ ओक्टोबर - २०१९ १३ अहीं सम्पादित कृति पण ते ज ३६ बोलनुं वर्णन करती लघुरचना छे. जो के कवि जयविजयजी उपाध्यायजीना मतने अयोग्य गणता होवाथी तेमणे अहीं शास्त्रोना नामोल्लेख करवा पूर्वक पोताना पक्षनी मान्यता रजू करी उपाध्यायजीना मतनु खण्डन कर्यु छे. एकंदरे कृतिना शब्दो सरळ छे तेथी ते सन्दर्भे बीजु कशुं न लखता अमे वाचकोनी सुगमता माटे ते बन्ने मतोनी ट्रॅकनोंध तथा कृतिमां उल्लिखित ग्रन्थोनी सूचि अहीं रजू करी छे. संलग्न बीजी कृति कवि जयविजयजीनी ज सुगुरु-कुगुरुनु वर्णन दर्शावती रचना छे. कृतिना शब्दो सरळ होइ विशेष कशुं लखवानी जरूर नथी. प्रथम कृतिनी हस्तप्रतमां ज छेवाडे उपरोक्त सज्झाय पण लखायेली होइ अहीं तेनुं साथे ज सम्पादन करायुं छे. खास तो सम्पादनार्थे प्रस्तुत कृतिनी हस्तप्रत Xerox आपवा बदल खम्भातना अमरशाळा ज्ञानभण्डारना व्यवस्थापकश्रीनो, मनुदादानो तथा डॉ. कीर्तिभाईनो खूब खूब आभार. कृतिकार जयविजयजी ___काव्यमां मळती नोंध मुजब तेओ उपा. कल्याणविजयजीना शिष्य हता. जैनपरम्पराना इतिहास (भा.४)मां कल्याणविजयने पू. हीरविजयसूरिजीना शिष्य कह्या छे. आम कवि जयविजयजी हीरविजयसूरिजीनी परम्पराना साधु छे. अन्यत्र तेमना जीवनचरित्रनो विशेष कोई परिचय मळतो नथी. परन्तु सं. १६६७ना मळता विजयसेनसूरिजीए आपेल क्षेत्रादेशपट्टकमां तेमनुं नाम जोवा मळे छे. जो के त्यां ज बीजुं पण एक जयविजयजी नाम लखायेलुं देखाय ३६ बोलनी ढूंकनोंध उत्तरपक्ष सागरमत १. सूक्ष्म निगोदने अव्यवहारी अने ते १. तेओ सूक्ष्म तथा बादर निगोदने तथा सिवायना पांचने व्यवहारी माने छे. सूक्ष्म पृथ्वी, सूक्ष्म अपकाय, सूक्ष्म तेउकाय तेमज सूक्ष्म वायुकाय ते ६ने अव्यवहारी माने छे.

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