Book Title: Anusandhan 2019 10 SrNo 78
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 45
________________ ३८ अनुसन्धान-७८ रमो उपशम रंगमुहलमि रे, रमणि खिमास्युं रंग, भ० । मु० । परोपगार प्रीय५ ए भलो रे, आदरो मित्र एकंगि, भ० । ॥१०॥ मु० । सुत विनय सुखकारीओ रे, धरणि सेजसु रंग, भ० । मु० । भोजन ज्ञान अमी करो रे, सुमति रसोइणि संगि, भ० ॥११॥ मु० । सबल वइराँग सखाईओ रे, वाहन रथ सीलंग, भ० । मु० । चढो चतुर तप उपर रे, मयमत बार मातंग, भ० ॥१२॥ मु० । अंतरंग परिवारमि रे, रहु अहनिसि आणंद, भ० । मु० । बि(बी)जी ढालमांहिं दिओ रे, ए उपदेश जिणंद, भ० ॥१३।। मु० । दहा ॥ वांदीनई श्रीवीरनि, नृप आदि नरनारि पोहत्ता पोतानइं घरि, सफल करी अवतार ॥१॥ नंदिषेण मंदिर जई, माने चरणे सीस नामिनई कहि मायनि, कहुं सुणि विस्वावीस ॥२॥ श्रीमुखि वीर वखाणीओ, ए संसार असार अनुमति आपो मायजी, लेस्युं संयमभार ॥३॥ तं निसुणि कहि धारणी, सुणी वछ जीव समान ए दाडा नहि योगना, भोगवि भोगप्रधान ॥४॥ मूर्छागति धरणी ढली, लहि वली चेतन वाय९ ऊठी तव कुंअर कहि, आपो अनुमति माय ॥५॥ कोलाहल नारी सूणी, मली आवी सय पंच वार्लिभ वयरागी थयो, सो हवि करस्यां संच ॥६॥ करजोडि कहइं कामिनी, वालेसर सुणो वात सरखे मलि संयोगडि, छोडण री सी धात ॥७॥ १५. प्रांहिं - ड । प्रिय एकलो रे - अ। १६. चंग - ड। १७. सारसु चंग - अ । १८. विवेक - अ. । १९. थाय - ब. ।

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