Book Title: Anusandhan 2019 10 SrNo 78
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 97
________________ अनुसन्धान-७८ दूहानो अर्थ बेसाडवानी कोशीश करी होत तो पण अर्थनो अंदाज आवतः "मेदो अने घी भेगा थाय तो पण मोळु ज लागे, त्रीजी वस्तु मीठाइमीठाश भळे तो स्वाद आवे." दूहा १५९मां सार्दू दे (?)मां प्रश्नचिह्न तो कयुं छे परन्तु म.गू.कोश तपास्यो होत तो एवी जरूर न रहेत. मध्यकालीन गूजरातीनुं काम करतां म.गू. कोश हाथवगो रहेवो जोइए. एनो उपयोग करवाथी म.का.शब्दोनुं ज्ञान वधे, पाठ शुद्ध थाय, निरर्थक कल्पनाओ न करवी पडे. साइं = आलिंगन. कृतिना अन्ते शब्दकोश आप्यो छे पण ढाळ/कडीना अङ्क साथे आप्या नथी तेथी कृतिमां ए शब्दो शोधवा अघरा पडे छे. दुःखरीव : दुखना पोकार. अणेख-अणख : अदेखाई. विखरो : विषनो (ष.ए.व.) क. ६६मां 'धुरथी' शब्द छे, पण शब्दकोशमां तेना बदले घुरथी शब्द आवी गयो छे अने 'घेरा अवाजथी. हृदयपूर्वक" जेवा भळता ज अर्थ कर्या छे. 'धुरथी' पाठ साचो छे अने तेनो अर्थ छ : पहेलेथी, शरुआतथी. 'हारेख' शब्द प्रश्नार्थ साथे नोंध्यो छे पण कृतिमां तेवो शब्द छ ज नहि. क. ११५ मां 'किहां रेख' छे. भांधिर, खलकलो शब्द पण कृतिमां जड्या नहि. संप्रेडो (१७६) अने गुड (१८६) जेवा शब्दो शब्दकोशमां नोंधवा जोईए ते सम्पादिकाए नोंध्या नथी. 'चरम तीर्थपति दीक्षा महोत्सव अधिकार स्तवन' शुद्ध प्रायः छे. क. ५मां 'उ(पूरण)' छे त्यां 'उरण' पाठ साचो छ, 'पूरण' कल्पवानी जरूर नथी. अरण = अनृणी, ऋणमुक्त. 'कुंड:पुर'मां विसर्ग करवानी जरूर नथी. लिपिकारे प्रतमा विसर्ग- चिह्न कर्यु होय तो सम्पादके वाचना तैयार करतां एवी भूलो दूर करवी जोइए. लहियाओ अनुस्वार, दंड, विसर्ग जेवा चिह्नो जरूर न होय त्यां पण करी देता होय छे. क. ४०मां 'भामणमहे (छे)' - अहीं 'छे'नी आवश्यकता नथी. अहीं 'भामणडे' शब्द होवो जोइए. श्री भगवानदास पटेलने श्री पुण्यविजयजी चंद्रक प्रदान समारोहमां श्री हसु याज्ञिके आपेलुं वक्तव्य पण आ अंकमां छे. लोकसाहित्यना संशोधनक्षेत्रे केवा प्रकारनी कामगीरी करवानी आवे छे तथा तेमां केवी समस्याओ सामे आवती होय छे तेनी रसप्रद चर्चा आ लेखमां थई छे. जैन देरासर नानी खाखर-३७०४३५. जि. कच्छ, गुजरात.

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