Book Title: Anusandhan 2019 10 SrNo 78
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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ओक्टोबर - २०१९
जोइए : 'मूक्यो(ओ)'. _ 'बे स्तवनो'मांना शान्तिनाथ स्तवननी अन्तिम कडीनो अन्तिम शब्द 'अरस' न होई शके. अहीं 'आस' शब्द जोइए. आवा शङ्कास्पद स्थाने सम्पादके सुसंगत पाठ मेळववानी कोशीश करवी पडे, एमने एम वाचना ऊतारी लेवाथी सम्पादन नहीं, लिप्यन्तर कर्यु गणाय. 'शङ्केश्वर पार्श्वनाथ स्तवन'नी ७मी कडीमां 'आरी सम बढे कपोल' एवी पंक्ति छे. अहीं 'आरी' जेवा कपोल (लमणां) एवी उपमा अपाई छे, परन्तु 'आरी' एटले शुं ? ते सम्पादके तपासवू रह्यु. अर्थ न समजाय तो प्रश्नचिह्न मूकीने ध्यान दोरवू अथवा विषय, भाषा, प्रासने मळतो शब्द सूचववो रह्यो. आरी (?) अथवा आरी[सउ] के आरी[सा] एवो सम्भवित पाठ सूचववानी जरूर गणाय. कडी १०मां लिपि/अक्षरो न समजायाथी भूलभरेलुं वाचन थयुं छे. 'आवे श्री संघ कुल द्या ए' - अहीं कुल द्या जेवा अर्थहीन शब्दो आवी गया छे. कवि उत्तम कक्षाना छे तेथी कवितामां कचाश न ज होय. विषय अने भाषाने अनुरूप शुद्ध पाठ सम्पादके विचारवो जोइए. ए रीते विचारतां अहीं 'ऊलट्या' शब्द होवानी पूरी सम्भावना छे. जूनी लिपिना कारणे 'ऊ' नो 'कु' वंचायो छे..
_ 'पांच हरियाली'मांथी चारना उकेल सूझ्या छे : १. साकरना गांगडा. २. बत्रीश घडी, चार प्रहर, एक दिवस. ३. अंगूठा अने आंगळीथी चपटी वगाडाय ते. ५. काया, पांच इन्द्रिय, त्रण दण्ड, विरति, २३ विषय. चोथी हरियालीमां दरेक पंक्तिमा प्रहेलिका छ जेना जवाब आध्यात्मिक विषयना छे.
___ 'अञ्जनासुन्दरी-पवनञ्जय रास' आ अंकमां पूरो थाय छे. प्रहेली ढाळना दूहा २ मां ‘पडसू धी' एम छपायुं छे. शब्द न समजायाना कारणे विचित्र 'इदं तृतीयं' सर्जावा पाम्युं छे. सम्पादके आवा भ्रामक पाठने ओछामा ओछु प्रश्नचिह्नथी सचित तो करवो ज जोइए. सम्पादके जुदा जुदा रूपे आ शब्द मध्य. गूज. कोशमां अथवा भगवद्गोमंडल जेवा कोशमां शोधवो जोइए. मध्यकालीन गुजरातीना शब्दोनी जोडणी सैके सैके बदलाती होय छे, माटे शक्य एटला रूपो विचारी कोशोमां खोळवा जोईए. वस्तुतः अहीं ‘पडसूधी' जूनी गुजरातीनो जाणीतो शब्द छे, हजी क्यांक पडसूदी छे पडसुंदी जेवा रूपे चलणमां पण छे. अर्थ छ : घउंनो झीणो लोट, मेदो.

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