Book Title: Anusandhan 2019 10 SrNo 78
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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ओक्टोबर - २०१९
४१
महोल वडां ए मालिआं हे, नाटिक गीत विनोद सरस सुभोजन साहिबा हे, २९मीठां थाहरी गोद ॥७॥ रा० चीर गरहणां चातुरी हे, फूल विछाई सेज थांथी प्रीतम विछडां हे, कांटा ३०पिं तेह छेज ॥८॥ रा० मोहतणि वसि माननी हे, कीधा एम विलाप लाडण तेह लूखो थयो हे, न करि फेरि संलाप ॥९॥ रा० चोथी ढालिं चाहसुं हे, न्यान कहि नेह पासि न पड्या तेह धन मानवी हे, सो पामि साबासि ॥१०॥ रा०
दूहा ॥ मातपिता नइ माननी, वड वैरागी जाणि
जोरिं पणि जो राखीइं, न रहइ ए निरवाणि ॥१॥ एम लही अनुमति दीइं, पूरो मनलं कोड मोह महाभड जीपजो, कहां छां बे२१ करजोडि ॥२॥
[ ढाल - ५]
राग-सारंग, नीदरली वैरणि रही - ए देशी ॥ भंभसार राजा हवइ, मंडि उत्सव हो मनरंगि अपार के
___अवसर लाहो लीजीइं । कीजइ निरमल हो समकित सुखकार के, अ० कौटंबिकनई आपसि, त्रणि लख द्रव्य हो लिओ जाइ भंडार कि ॥१॥अ० रजोहरण रलीआमणो, वली आणो हो पडिगह एक सार कि, अ० कुंतीआवणनई कनकदे, ले आवो हो मत लाओ वार कि ॥२॥ अ० काश्यपनइं लख कनकना, दे टंका हो जई आणो तेडि३२ के, अ० धरम करीजई धसमसी, विचमांहि हो नवि कीजइ जेडि के ॥३॥ अ० च्यार अंगुल वरजी तिहां, कतरावि हो चोटी नंदिषेण कि, अ० स्वेतवस्त्र धरी धारणी, केस लीधा हो तेहेनी ततखेण कि ॥४॥ अ० २९. तिहां राखोनी सवाद ॥७॥ - अ। ३०. पिडइ - ड । ३१. मे - क, म्हें - ड।
३२. तेह - अ। ३३. सुतना - अ ।

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