Book Title: Anusandhan 2019 10 SrNo 78
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 88
________________ ओक्टोबर - २०१९ तो आ लोकोए मारी बदनक्षी करी छे, एटले तेमणे ते बधा पर बदनक्षीनो दावो मांड्यो. ते बधामा २ साधु (गुरु-शिष्य) अने २ गृहस्थो. केस चाल्यो. अमां लेखोना शब्दो तथा तेना अर्थघटनो माटे वकीलो उपरांत दिग्गज साक्षरो - आनन्दशंकर ध्रुव, नरसिंहराव दिवेटिया वगेरेनो पण सहयोग लेवायेलो. आरोपी पक्षने ख्याल आव्यो के आ दावो साबित थशे ज, अने तेनो अर्थ एक ज - जेलमां जवानू. साधु जेलमां जाय, अपराधी बने, तो जैन शासननी केटली अपभ्राजना थाय ! पण हवे निरुपाय हता. छेवटे ते साधुओ नेमिसूरि महाराजना शरणे गया. महाराजे बधी वातनो क्यास मेळव्यो. आवी झंबेश बदल कडवो ठपको पण आप्यो. पण छेवटे साधु हता अने धर्मशासननी इज्जतनो सवाल हतो. तेमणे ते लोकोने बचावी लेवानुं नक्की कर्यु. शेठ मळवा नियमित आवे, पेढीना कामे. महाराजे तेमने केस पाछो खेंचवा समजाव्या. शेठे मक्कमताथी ना पाडी, ने पोतानी व्यथा ठालवी. तेमनी वात साची पण हती के माराथी तमारी दृष्टिए भूल थई, तो तमारे मने बोलावीने समजाववो जोईए, ठपको पण आपो, पण आ रीते जाहेर आक्रमण ? मारा जेवा आबरुदार माणस माटे आ सहन थाय नहि. महाराजे समजाव्या. छेवटे कडं के 'अम्बालाल ! हवे तारो केस ए साधुओ (प्रेमविजय-रामविजय) सामे नहि, पण नेमिसूरि सामे छे, एम समजजे.' शेठे ए आज्ञा मानी, अने बे साधुओ सामेनुं आरोपनामुं कोर्टमां पार्छ खेंची लीधुं. साधुओने काळो डाघ लागतां रही गयो. पण बे गृहस्थोने सखत केद (प्रायः ४ वर्ष) थई ज. .. पण आ पछी शेठ- मन चगडोळे चडी गयुं. तेमणे विचार्यु के 'मारी विचारधारा मुजब में कूतरां मार्यां तेमां घणा लोकोनी तथा जीवोनी रक्षा थई छे. आ हिंसा होवा छतां तेमां पाप छे एवं मानवाने मन कबूल थतुं नथी. ज्यारे जैन धर्मना सिद्धान्त मुजब आ कृत्य स्पष्ट रीते हिंसानुं कृत्य छे. हवे ए वात पर मने विश्वास न होय, तो मने 'जैन' कहेवडाववानो कोई अधिकार नथी. जेना सिद्धान्तोमां मने विश्वास न होय ते संस्थाना सभ्य तरीके माराथी केम रहेवाय ?'

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