Book Title: Anusandhan 2019 10 SrNo 78
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 75
________________ ६८ अनुसन्धान-७८ पौराणिक नाम आधारित समस्यावलि - सं. उपा. भुवनचन्द्र एक प्रखर विद्वान आचार्य द्वारा रचित समस्याओनी एक मौलिक-स्वतंत्र रचना अहीं सर्वप्रथम वार प्रगट थाय छे. कर्ताना स्वहस्ते लखायेल प्रत परथी आ रचना लिपिबद्ध करी छे. कर्ताए जरूरी स्पष्टीकरण पण दरेक कडी ऊपर लख्या छे तेना आधारे अहीं समस्याना उकेल पण नोंध्या छे. कर्ताए कृतिने नाम नथी आप्यु विषयने अनुरूप शीर्षक अमे प्रयोज्युं छे.. गूढा करतां आवी पौराणिक समस्याओ जरा जुदी पडे छे. सामान्य प्रहेलिका-गूढामां जाणीती वस्तुने जुदां ज लक्षणो द्वारा सूचववामां आवे छे, जेना उकेल माटे लक्षणा-व्यंजना-अनुमाननो उपयोग करवानो थाय छे. पौराणिक पात्रोनां नाम पर आधारित समस्याना उकेल माटे पौराणिक कथाओ, ज्ञान जरूरी बने छे. आवी प्रहेलिकाओ अनेक मळे छे. आ दृष्टिए पौराणिक समस्यानो एक स्वतन्त्र प्रकार गणवो होय तो गणी शकाय. प्रस्तुत कृतिना रचयिता आ. हर्षकीर्तिसूरि नागपुरीय बृहत्तपागच्छना एक पट्टधर छे अने इतिहासमां सुप्रसिद्ध छे. 'शारदीया नाममाला' वगेरे घणी कृतिओ तेमणे सर्जी छे. प्रस्तुत कृतिनी हस्तप्रत कुशल दीप-देव ज्ञानभण्डार-नानी खाखरमांथी प्राप्त थई छे. गंगारिपुरिपु सू पहरणवदनी, घणरिपुवाहण अछइ नयणी; पावस मंडण अग्गलि सारी, तिणि कारणि धणि प्रियह प्यारी. १ (गंगानो शत्रु = पाप, तेना शत्रु धर्म = युधिष्ठिर, तेनुं प्रहरण (?) कमल, तेना जेवू मुख धरावती. घन = मेघ, तेनो शत्रु = पवन, तेनुं वाहन मृग, तेना जेवा नेत्रवाळी. वर्षानो अलंकार वीजली, तेनाथी पण वधारे सारी. धणि : पत्नी ।

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