Book Title: Anusandhan 2019 10 SrNo 78
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 76
________________ ओक्टोबर - २०१९ वनरिपु-रिपु-रिपु वाहणनयणी, शशिहर वाण भूषण वेणी; जलसू वदनी अति गुण सारी, तिणि कारणि धणि प्रीयह पियारी. २ (वननो शत्रु अग्नि, तेनो शत्रु मेघ, तेनो शत्रु पवन, तेनुं वाहन मृग, तेना जेवा नेत्रवाळी. शशधर - चंद्र, तेनुं वाहन शंकर, तेनुं भूषण नाग, तेना जेवी वेणी धरावनार, जलसू - कमल, तेना जेवं वदन धरावनार) शशिवाहणसू वाहणह, तसु रिपु चेला भक्ष; सो सुंदरि तोरइ अंगि नहि, एह पटंतर दक्ष. ३ (शशिवाहन - महादेव, तेना पुत्र गणेश, तेनुं वाहन उंदर, तेनो शत्रु बिलाडो, तेनो चेलो सिंह, ते भक्ष्य मांस.) शशिवाहण वाहण मइं पायउ, रविसू सारहि पितु भागि (लागि) न आयउ; एह पटंतर दाखउं तुज्झ, दुइ पखि तिणि अंगि नाही मुज्झ. ४ (शशिवादन महादेव, तेनुं वाहन बळद; रवि - सूर्य, तेनो पुत्र कर्ण, तेनो सारथि शल्य, तेनो पिता बकरो) इंद्रह आसणि रविय सू, सुग्रीवह भंडार, तई त्रिन्होइ एकठ किया, कहि सुंदरि कवण विचार. ५ भीम न दीधी भारवइ, रामायण हणवेण; त्रिपुर न दीधी संकरइ, सा मो दिद्ध प्रियेण. ६ माथइ वाढइ जीवता, अणवाढिए मुएण; सो मो लागा हे सही, तिण परिहरी प्रियेण. ७ [नख] रामसहोयर कणयरिपु, कोदंडाकउ सार; ए त्रिन्हइ तो माहि नही, तउ छंडी भरतार. ८ (लखन, सोहाग, धनुषनी दोरी - गुण, ए त्रण नथी)

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