Book Title: Anusandhan 2019 10 SrNo 78
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 47
________________ अनुसन्धान-७८ थां थी वसती प्राणाधार जो, थां विण जग सूंनो सघलो प्रभू२५ रे लो, हो । सुनजरि जोई कीजई सार जो, न्यान करी त्रीजी ढालई विभू रे लो, ॥११|हो० दूहा ॥ म्हे तु किउंहीं कीउ नथी, गयरन(गयर) गरिब निवाज । गुनहा विण किउं गोरडी, छयल छोडी जि आज ॥१॥ थंक पडइ जिहां थाहरु, रेडां लोही तेथि ।। मांडां शिर मे माहरां, २६पाउधरो थे जेथि ॥२॥ ॐ अमृत बिंदू आंखे झरें, करे विलाप सवि बाल । सिरखें मिले संयोगडे, इंम कांइ तजो भूपाल 卐 नंदिषेण वलतुं वदई, मे तो लेश्यां दीख । इण संसार असारमां, सार जिणंदरी सीख ॥३॥ ढाल - [४] उठी कलालणी भरि घडो हे - ए देशी ॥ रमणी पांचइसिं मिली हे, सासूनि कहि माय । मे तु प्रीउ दुहव्यो नथी हे, कांइ रीसावि जाय ॥१॥ रायजादो राखो हे मनाय, बाई बहु बलिहारि कराय, रा० आंचली । कालिजि कोउ मेहली इणि हो (हे), घालि छानो थाय विरहतणी काती वडी हे, छाती तेणि कपाय ॥२॥ रा० उंडो जाणी आदर्यो हे, छीछेर तो किउं थाय । आंबो जाणी ओलग्यो हे, आकफलां दिइं काय ॥३॥ रा० बिशां छां जाण्युं हतुं हे, कल्पतरुरी छाय कंत थयुं तेह कयरडो हे, बाई देखों बोलाय ॥४॥ रा० नयणां आंसूधारसूं हे, वरसी सींचइ तेह नवरावि नारी सहू हे, नंदिषेणरी देह ॥५॥ रा० वनिता गदगद वयणस्युं हे, एम करि अरदास नाहनि हेजे नारिने हे, सासरडे सो वास ।।६।। रा० २५. अम मने रे - अ। २६. महोलें पधारो एथि - अ । २७. छिलर - अ। २८. बैसी - ब।

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