Book Title: Anusandhan 2019 10 SrNo 78
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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ओक्टोबर - २०१९
श्रीहीरविजयसूरि जेसंगजी गणधरु, श्रीविजयतिलक गणधार, दोइ कर जोडी रे अहनिशि वंदीइ, चउविह संघ जयकार. १३ आतम... दिनकरनी परि सोहइ दीपता, श्रीगुरु विजया रे णंद, संप्रति हीरना वचन मना[व]तउ, चिर जयो जगदा रे णंद १४ आतम... सयल वाच[क] सिरि सोहइ चूडामणी, श्रीकल्याणविजय उवझाय, सीस जयविजय कर जोडी करी, हरख धरी गुण गाय. १५ आतम...
॥ इति सुगुरु-कुगुरुसज्झायः सम्पूर्णः । गणि नयविजय पठनार्थम् ॥ श्रीः ।
नोंध : आ रचनाओ सत्तरमा शतकमां ज्यारे विजयदेवसूर तथा आणसूर एम
बे पक्षो थयेला अने विवाद थयेलो ते समय अने सन्दर्भमां रचाई छे. पाछळथी ते बन्ने पक्षो एक थया अने विवाद शमी गया होवाथी आवी रचनाओ एक ऐतिहासिक मूल्य धरावती रचनाओ गणाय तेम छे.
- शी.

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