Book Title: Anusandhan 2019 10 SrNo 78
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
View full book text
________________
ओक्टोबर - २०१९
२३
मरीचि भणई कविला१८ तुझे सुणउ, धर्म अछइ तिहां ईहां पणि मुणउ९, गच्छ चउरासी उत्सूत्र ए कहइ, सागर दुरभाषित सद्दहइ२० २६ बोल-४ जूउ विचारी भगवति(ती) सूत्र, प्राकृतबंध श्रीवीरचरित्र, उपदेश मालानी कर्णिका, दोघट्टी आगम-वणिका. २७ सर्वानंदसूरि कृत वली, उपदेशमाला वृत्ति अति भली, प्रश्नोत्तर समुच्चय सार, प्रमुख ग्रंथ तणइं अणुसारि. २८ जमालिनइं भव पन्नर कह्या, अपर शास्त्रि अधिकेरा थया, वली वृत्ति हेयोपादेय, उपदेशमालानी छइ जेय. २९ उपदेशमाला, उदार, बालावबोध तणइं अणुसारि, भव अनंता बोल्या वली, तत्त्वारथ जाणई केवली. ३० सागरमती२२ बोलइ एकांति, जमालि(ली)नई भव कह्या अनंत, भव पन्नर वली मानई जेह, मिथ्यामती कहीजइ तेह. ३१ बोल-५ श्रीचउसरण पइन्ना साखि, आराधना-पताका भाखि, पंचसूत्री ग्रंथ वृत्ति वखाणि, भगवतिसूत्र वृत्ति पणि जाणि. ३२ इत्यादिक सवे शास्त्र मझारि, वीतराग वचन अणुसारि, धर्म कर्म परपक्षी तणुं, अनुमोदवानुं ना नही भणिउ(गुं). ३३ सागर आहसागरमती ते एहq कहइ, अनुमोदना मिथ्यामति लहइ, जाणी आगम ऊथापइ जेह, भव अनंता पामइ तेह. ३४ बोल-६ श्रीमहानिशीथ सूत्र साचिलुं, ज्ञाताधर्म कथा पणि भलूं(लुं), आवश्यक नियुक्ति वृत्ति भली, भगवतीसूत्र विचारी आगली. ३५ उ[व]वाई वृत्तिमां बोलिउं इसिउं, प्रश्नोत्तर समुच्चय तिसिउं२३, वीर चरित्रादिक अणुसारि, उत्सूत्रभाषीनइ हुइ... (?) [संसारि?] ३६ अध्यवसायनई मेलइ कह्यउ, संख्यातउ असंख्यातउ गयु, अनंतउ पणि होइ संसार, श्रीजिनवचन इस्या उदार. ३७ सागरोवाचअत्सूत्रभाषीनइं अनंत संसार, सागरमती बोलइ निरधार, ज्ञानमदइं ते देखइ तहीं, एकांतई मिथ्यामति कही. ३८ बोल - ७

Page Navigation
1 ... 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98