Book Title: Anusandhan 2019 10 SrNo 78
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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ओक्टोबर - २०१९
१७
१५
३०. तव्वसेण य इत्यादि पाठ कोइए ३०. ठाणांगसूत्रनी वृत्तिनो "तव्वसेण बदल्यो होवानुं मानता नथी. य" इत्यादि पाठ कोइ असंयतीए
बदली नाख्या- कही तेमने 'गमार'
कहे छे. ३१. तेओ कुलमंडनसूरिना समर्थनथी ३१. तेओ "अट्ठमि पन्नरसीसु" ए गाथा __ "अठमि पन्नरसी" ए पाठ योग्य पाठ पण कोइ कुपाक्षिक वडे गणे छे.
बदलायानुं माने छे. ३२. "कसेलानु गळी स्वच्छ करेलुं पाणी ३२. तेमना मते तो कसेलानु आq पाणी
२ घडी पछी तिविहारना पच्च- (तिविहारना पच्चक्खाणवाळाने) क्खाण वाळाने कल्पे" तेवो आमनो कल्पे ज नहीं.
मत छे. ३३. "उदधाविव सर्वसिन्धव" ए पाठने ३३. "उदधाविव सर्वसिन्धव" ए योग्य माने छे.
वचनने असंगत माने छे. ३४. अभव्यजीवने व्यक्तमिथ्यात्व माने ३४. ते मना मते अभव्य जीवने
अव्यक्तमिथ्यात्व ज होय. ३५. व्यवहार राशिमां आवेलो जीव ३५. व्यवहार राशिमां आवेलो जीव
उत्कृष्टथी अनन्त पुद्गलपरावर्त उत्कृष्टथी असंख्य पुद्गल-परावर्त
(भवभ्रमण) करी मोक्षे जाय. (भवभ्रमण) करी मोक्षे जाय. ३६. परपक्षीने पण नवकार मंत्र गणता ३६. परपक्षीने नवकार मंत्र गणता समये घणो लाभ थाय तेवू माने छे. समये अनन्त संसारनी वृद्धि थाय
तेवो आमनो मत छे.

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