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आ प्रत्यक्ष देखाती चर्म चक्षुथी जोतां मुक्ति नगरी ज. जाती नथी. कारणके आ प्रत्यक्ष चक्षुनी शक्ति मुक्ति नगरी देखवानी नथी. ज्ञानदृष्टिथी मुक्ति नगरी देखी शकाय छे, सर्वार्थ सिद्ध विमानथी बार योजन उपर सिद्ध शिला छे ते सिद्ध शिला पिस्तालीश लाख योजननी लांबी पहोळी छे ते उपर एक योजनना २४ चोवीस भाग करीए तेमां वीस भाग मूकीने चोवीस भागने विषे कर्म थकी आत्मानुं ठरवु तेनुं नाम मोक्ष छे. नैयायिक अत्यंताभावरूप मुक्ति माने छे.. वेदान्ति आत्मानुं जडपणुं तेने मुक्ति माने छे, कारण के अद्वैत वादीना मत प्रमाणे मोक्ष स्थान जू, नथी. अने तेनी मुक्तिमां जीवने ज्ञान बीलकुल होवू नहीं एम स्वीकारे छ, केट. लाक परमात्मा व्यापक माने छे, अने जीव तेना अंश तरीके छे, जीवतत्त्वनो नाश थतां परमात्मामां लीन थर्बु तेनेज मुक्ति माने. छ, केटलाक इश्वरनी पासे सेवक तरीके रहे तेने मुक्ति तरीके स्विकारे छे, पण ते तत्वयुक्त्या विचारतां सर्व खोटी छे. जिनेश्वर भगवाने कहेली मुक्ति छ तेज सत्य छ, कारणके सर्वज्ञ भगवंते ज्ञानदृष्टिथी सत्य कथन करेलुं छे, रागद्वेषाभावयी असत्य कदापि भगवंत कथन करता नथी. श्रीजिनेश्वर भगवंतने कंइ मत वधारवानी इच्छा नहोती, जेने मत वधारवानी इच्छा होय छे ते अढार १८ दोष रहित होता नयी अने जिनेश्वर भगवंत तो अढार दोष रहीत हता. ते अष्टादश दोषनो नीचे 'मुजब क्षयं कर्यों छे.
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