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second Prot de 31.3.2016 -
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Second Proof DL 31-3-2016 - 19
• महावीर दर्शन - महावीर कथा . ।
पूर्व पुस्तिका (LP रिकार्ड में स्वरस्थ Script)
महावीर दर्शन श्री कल्पसूत्र, श्रीमद् राजचंद्रजी की तत्वदृष्टि तथा काव्य कृतियाँ
__एवं श्री शांतिलाल शाह के गीतों पर आधारित . गीत-कथा : लेखन-निर्देशन-कथन-गान : प्रा. प्रतापकुमार ज. टोलिया
कल्याणपादपारामं श्रुतगंगा हिमाचलम् । विश्वाम्भोज रविं देवं वन्दे श्री ज्ञातनन्दनम् ॥
(सूत्र-ध्वनि) "जे एगं जाणइ, से सव्यं जाणइ ।" "जो 'एक' को - आत्मा को - जान लेता है, वह सब को, सारे जगत को जान लेता है।"
(मंत्र-ध्वनि) ॐ नमो अरिहंताणं । नमो सिद्धाणं नमो आयरियाणं । नमो उवज्झायाणं । नमो लोए सव्व साहूणं ।
एसो पंच नमुक्कारो । सव्व पावप्पणासणो ।
मंगलाणं च सव्वेसिं । पढमं हवइ मंगलम् ॥ (प्रवक्ता M) अनादिकाल से चला आ रहा है यह मंत्र - नमस्कार महामंत्र : व्यक्ति को नहीं,
गुणों को पूजनेवाला विश्व-कल्याण का महामंत्र । अरिहंतपद सिध्धपद की पूजापूजना के द्वारा स्वयं को अरिहंतपद-सिध्धपद-परमात्मपद दिलानेवाला महामंत्र......
पंच-परमगुरुओं में निहित.आत्म तत्व-केन्द्रित महामंत्र । । (प्रवक्ता F) इस महामंत्र की आराधना, ध्यान-साधना एवं तद्नुसार आचरणा-सम्यक् दर्शन
ज्ञान-चारित्र की रत्नत्रयी उपासना-एक महान् आत्मा ने की थी : एक नहीं, दो नहीं,
सत्ताईस सत्ताईस जागृत जन्मान्तरों में... । (M) ...
और इतनी सुदीर्घ साधना के पश्चात्, आज से ठीक 2600 वर्ष पहले, ईस्वी पूर्व (598) पांच सौ अठयानबे में... जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र की कर्मभूमि, ... बिहार की संपन्न वैशाली नगरी, ... उसी का एक उपनगर क्षत्रियकुंड ग्राम और उसी में स्थित एक राजप्रासाद - तेईसवे जैन तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ के धर्मावलंबी एवं लिच्छवी वंशी राजा सिध्धार्थ का यह राजमहल ...। यहाँ पर राजमाता त्रिशलादेवी की पवित्र कुक्षि में उस भव्यात्मा का देवलोक से अवतरण हुआ है - महामंगलकारी चौदह सर्वोत्तम सांकेतिक स्वप्नों के पूर्वदर्शन के साथ ।
(दिव्य वाद्य संगीत) (Celestial Instrumental Music : Soormandal, Santoor)
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(F) ...
(M)
-राजप्रासाद
(सोलह-डि