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Second Proof Dt. 31-3-2016 72
(घोष M) (Clear, Echo )
(Tragic BGM)
( गीतः भेरवी: F + M) (1)
( गीत F + M) (2) (भैरवी)
"यः सिध्ध परमात्मा स एवाऽहम् ।" "जो सिध्ध परमात्मा है, वही मैं हूँ ।" और पलभर में तो प्रभु परमशांति,
परमपद परिनिर्वाण को प्राप्त हो गये.... !
• महावीर दर्शन महावीर कथा •
( गीत: भैरवी M ) ( Super Imposed Voice Echoes High Pitch)
"साँस की अंतिम डोर तक रखी, अखंड देशना जारी । आसो अमावस रात की बेला, निर्वाण की गति धारी ।"
( गीत: धूनः घोष: Instrumentals ) "परमगुरु निर्ग्रन्थ सर्वज्ञ देव" (5)
(प्र. M : Extremely Emotional Voice) हवा में शंख, वन में दुन्दुभि और जन-मन में रुदन.... के अनगिनत स्वर उठे..... प्राणज्योति अनंत ज्योति में विलीन हो गई..... । ज्योत में ज्योत मिल गई - 'भिन्ना प्रत्येगात्मना' * का अपना स्वतंत्र अस्तित्व सम्हालती हुई !! प्रभु अनंत दर्शन, अनंत ज्ञान, अनंत वीर्य, अनंत सुखमय, अजर अमर सिद्धलोक के ऐसे आलोक में पहुंच गये कि जहां से कभी लौटना नहीं होता, कभी जन्म-मृत्यु के चक्र में आना नहीं पड़ता ।"
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( तत्वार्थ सूत्र ) (BGM Bhairavi Song) " या कारण मिथ्यात्व दियो तज, क्युं कर देह धरेंगे ?
अब हम अमर भये न मरेंगे ।"
( अंतिम गानः भैरवी : F + M) (3)
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(72)
(Tragic Bhairavi Swar)
"इस अंधेरी अमा-निशा को बुझ गई महान ज्योति; धरती पर तब छाया अंधेरा अंखियाँ रह गई रोतीं ॥" गूंज उठे तब देव दुन्दुभि, लहराई दैवी वाणी:
"आनन्द मनाओ ! जग के लोगों ! प्रभु ने मुक्ति पाई (1) (3)
आसो अमावस की श्यामल रात को,
दीप- दीपावली की मधरात को, थी,
प्रभु वीर ने विदाई ले ली
उस दिन मेरे भग्न हृदय ने यह एक धूनं जगाई / लगाई थी
"
(म. आनंदघनजी )
"हे वीर ! प्रभु वीर !" (CH)
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