Book Title: Antarlok Me Mahavir Ka Mahajivan
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Vardhaman Bharati International Foundation

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Page 93
________________ Fire Proof Dr. 1-2-15 - 10 परिचय एवं माहितिः आगामी महावीर जयंति पर "महावीर-दर्शन" : महावीरकथा "उस त्रिशलातनय में ध्यान लगाय ज्ञान विवेक विचार बढ़ाउं, नित्य विशोध कर नव तत्त्व का, उत्तम बोध अनेक उच्चारं ॥" - श्रीमद् राजचन्द्रजी ('सामान्य मनोरथ' काव्य में) "वर्धमान महावीर का दिल में ध्यान लगाइये । कषाय-मुक्त मुक्तिपथ पर आगे बढ़ते जाइये ॥" - सुश्री विदुषी विमला ठकार ('महावीर जयंती' के प्रेरक पत्र में) महावीर-ध्यान-विषयक श्रीमद्जी का उपर्युक्त 'सामान्य मनोरथ' हमारे लिये "भव्य मनोरथ" और "ध्यान-संदेश" बना हुआ है। तदनुसार गाने-ध्यान-जीने के उद्देश से त्रिशला तनय प्रभु महावीर की पावन प्रेरक चरित्रगाथा में लीन होकर "महावीर दर्शन" (= महावीर जीवनकथा एवं जीवनदर्शन) प्रत्यक्ष, प्रकट, मंचन के रूप में गाने-प्रस्तुत करने का लाभ हमें, परमगुरु अनुग्रह से, बरसों से मिल रहा है (देश-विदेशों के 25 बार के पर्युषण पर्व "कल्पसूत्र":भी) कि जिसका 2500 वे महावीर निर्वाणोत्सव प्रसंग पर, "महावीर दर्शन" एवं "वीरवंदना" शीर्षक के स्वरस्थ स्वरूप (रिकार्डिंग) स्वरबध्ध किया गया था - तब प्रथम लांग प्लॅ रिकार्ड एवं अब कोम्पेक्ट डिस्क सी.डी. एवं कैसेट आकार में । फिर 2600 वे महावीर जन्मकल्याणक महोत्सव के प्रसंग पर 2001 में कलकत्ता में उसका दो बार सफल एवं विशाल मंचन हुआ जो अभूतपूर्व प्रभाव-प्रतिभाव छोड़ गया (एक पत्र संबध्ध)। तत्पश्चात् भारत एवं विदेशों के कई नगरों में भी गुरुकृपा से यह सफल, सार्थक होता चला और हम अल्पज्ञों को इसका निमित्त बनाये रखा। सनातन रूप से प्रेरक एवं प्रासंगिक ऐसा प्रभुजीवन का पावन स्मरण-श्रवण तो हमारी चेतना की धन्यता एवं सार्थकता है। यह तो नित्य चलना चाहिये । जिनकथा में हमारे दिन व्यतीत हो यह हमारी मंगलभावना होती है । यदि सदा न सही तो कम से कम जिनेश्वरों के जन्मकल्याणकों-निर्वाणकल्याणकों-पांचों ही कल्याणकों के अवसर पर यह स्मरण-श्रवण होता रहे तो हमारा जीवन धन्य बन जाय । इस दृष्टि से आगामी महावीर जयंती चैत्र सु. १३ से चैत्र सु. १५ तक हम इसकी आयोजना का लाभ प्राप्त करें।

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