Book Title: Antarlok Me Mahavir Ka Mahajivan
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Vardhaman Bharati International Foundation

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Page 40
________________ Second Proof DL. 31-3-2016 - 40 • महावीर दर्शन - महावीर कथा . ..... और इतना सारा होते हुए भी, 'मानव से ही महामानव' बने हुए पुरुषार्थ-प्रधान महाविश्वात्मा महावीर के महाजीवन को अंतस् स्वरूप से - समग्र स्वरूप से पाना, आत्मसात् करना अभी दूर है, बहुत दूर ....! उस महाजीवन के महासागर के गहनतल से मोती चुनकर लाना अभी शेष ही है ! यहाँ तो सभी उस महासागर के तट पर से चंद सीप ही हाथ लगे हैं !! सम्भव है कि ये सीप भी निमित्त बनकर किसी भाग्यवंत महा-मरजीवे को (गोतेखोर को) महावीर-महासागर के उस अंतस्तल में पहुँच कर महामूल्यवान मोतियों को खोज कर ले आने की प्रेरणा करें !!! ऐसी आशा, ऐसी भावना, ऐसी विनम्र प्रार्थना के साथ अनेक स्थलों की श्रृंखला में यहाँ भी प्रस्तुत हो रहा है यह महावीर दश्न-2500 वे महावीर निर्वाणोत्सव प्रसंग पर रिकार्ड रूप में, 2600 वे जन्मोत्सव पर कलकत्ता में मंचन रूप में एवं तत्पश्चात् मुंबई, राजकोट, बोरड़ी, अमरेली, इ. के पश्चात् । कोई तो, कहीं तो, कभी तो कोई महावीर-महासागर-मरजीवा जागेगा ही - - प्रा. प्रतापकुमार ज. टोलिया 1580, कुमारस्वामी ले आउट, बेंगलोर-560078 (मो. 9611231580) (40)

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