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Second Proof DL. 31-3-2016 - 45
• महावीर दर्शन - महावीर कथा .
(वृंदगान) (राग - बसंत बहार केदार; ताल-त्रिताल) सासामगप, पनीसारि, साधध, धनीधप । पपपप प साप, परेसा) (वाद्य-सागप) "घरघर में आनंद है छाया, घरघर में आनंद । त्रिशला मैया पुत्र प्रगटिया, जैसे पूनम का चंद ॥ घर घर में ।" (पपप सा-सा । सां सां सां । नीरेसा । साग । सांग रेमं गरे । सा-धप । (सासामग । प-पनीसारे । सां-धध ॥ धनीधप । पपपप । प-सा ।) ॥ सा-म-रेसा) (म-गाप-रेसा । सासामग । प-नी-सा-म) "गोख गोख में दीप जले हैं केसर कुमकुम रंग खिले हैं। धरती के गूढ़ अंतस्तल से, प्रसरित धूप सुगंध... ॥ घरघर में ॥ "कुंज कुंज कोयलिया बोले, मस्ती में मोरलिया डोले । मंजुल कंठ से, मीठे स्वर से, गाये विहग के वृंद... ॥ घर घर में ॥ (Soormandal) (प्र. F) और इस महामंगलकारी जन्मकल्याणक के पश्चात् (राग-मिश्र ताल-दादरा : धधध-नीसानीसा । नीसानीधप । पपप धनी धप धनीनी नीनीनी) "बाल को करती प्यार दुलार माँ, झुले की डोरी खींचती थी; ...
था; सुर मधुर सुनाय सुनाय के, अंतस्-अमृत सींचती थी। रेरेरे गरेसा । रेपम धपप-गगग मधप मममम ध-पम धधध । मपपप, धधधनीसासा । नी सासासासा। "वीर होना गंभीर होना तू । पुत्र को आशिष देती थी, झुकझुक के निज काल के लोचन, नेह नज़र से देखती थी ॥" (रेरेरे गरेसा, रेमम धधप-गगग मधप ममममम) लोरी गीत (वाद्यस्वर परिवर्तन : पहाड़ी छाया, ताल-दादरा) (E) (1) "सो जा रे - सो जा । ... सो जा ... । ओ मेरे बाल/लाल ... !
मीठी मीठी लोरी सुनाऊं, मैं तो तेरे काज,
जागने का शेष तुझे रे, सो जा रे तू आज । सो जा रे ।" लोरी गीत (F) (2) "तुम सो जाओ । ... मैं गाउं, तुम सो जाओ, सो जाओ।
- तुम सो जाओ ! (2)
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