Book Title: Antarlok Me Mahavir Ka Mahajivan
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Vardhaman Bharati International Foundation

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Page 38
________________ ASecond Proof DL.31-3-2016.38 • महावीर दर्शन - महावीर कथा • (INTRODUCTORY) Mahaveer Darshan : Mahaveer Katha (HINDI) महावीर दर्शन आत्मध्यान-आधारित समग्रता के जीवनदर्शन की महावीर कथा प्रा. प्रतापकुमार ज. टोलिया जिनाय वीराय महावीराय नमोनमः । 'उस त्रिशला-तनय में तल्लीन कर मन ज्ञान विवेक विचार बढ़ाउं । नित्य विशोधन कर नव तत्त्व का उत्तम बोध अनेक उच्चारं ॥' (वर्तमान युगदृष्टा श्रीमद् राजचन्द्रजी) "कल्याणपादपारामं श्रुतगंगा हिमाचलम् । विश्वाम्भोज रविं देवं वन्दे श्री ज्ञातनन्दनम् ॥" . (कलिकालसर्वज्ञ श्री हेमचन्द्राचार्य) ...... ... |. 'वीतराग महावीर का दिलमें ध्यान लगाईये । कषाय-मुक्त मुक्तिपंथ पर कदम बढ़ाते जाइए ॥" (सिद्धयोगिनी विदुषी विमलाताई ठकार) • प्रास्ताविक. 'जे एगं जाणइ से सव्व जाणइ' - (जिसने आत्मा को जाना, उसने सब को जान लिया) - आचारांग सूत्र कथित इस निग्रंथ प्रवचन का महाघोष अनुगुंजक आसन्न उपकारक चरम तीर्थंकर भगवान महावीर का अद्भुत, अभूतपूर्व, रोमहर्षक जीवन चरित्र है यह महावीर दर्शन ! केवल वह बाह्य घटनात्मक कथा नहीं, बाह्यांतर सर्व दशाओं का संस्पर्श करनेवाला वह आत्मध्यान परिकेन्द्रित ऐसा जीवन की समग्रता का जीवनदर्शन है। आत्मा, आत्मज्ञान, आत्मध्यान उसका आंतर स्वरूप है । अहिंसा, अपरिग्रह, अनेकांत, अनंतनयमय सत्य आदि अनेक महासिद्धांत महाव्रत उसका बाह्यस्वरूप है।अनंत सामर्थ्ययुक्त आत्मादि (38)

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