Book Title: Anekant 1962 Book 15 Ank 01 to 06
Author(s): A N Upadhye
Publisher: Veer Seva Mandir Trust

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Page 8
________________ अनेकान्त के पन्द्रहवें वर्ष की विषय-सूची विषय और लेखक पृष्ठ विषय और लेखक पृष्ठ प्रज्ञात हिन्दी कवि टेकचन्द व उनकी रचनाएँ चतुर्विशति तीर्थकर जयमाला (स्तुति) -श्री अगरचन्द नाहटा ६५ -श्री ब्रह्मजीवंधर १४७ अनेकान्त पर अभिमत १४६ जयसेन प्रतिष्ठा पाठ की प्रतिष्ठा विधि का अशुद्ध भनेकान्त प्रकाशन -श्री वंशीधर शास्त्री एम०ए० ४७ प्रचार -श्री पं०मिलापचन्द जी कटारिया ३४ महद् भक्ति (स्तवन) १९ जैन अपभ्रंश का मध्यकालीन हिन्दी के भक्ति काव्य ८० अहिंसा के पुजारी एल्वर्ट स्वाइटजर पर प्रभाव-डा. प्रेमसागर जैन ५७,१२३ -पं० बनारसीदास चतुर्वेदी एम० पी० ४४ जैन परिवारों के वैष्णव बनने सम्बन्धी वृत्तांत प्राचार्य नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ती की बिम्ब योजना -श्री अगरचन्द नाहटा २८२ -डा. नेमिन्द्र जैन एम० ए०,पी-एच०डी०, १९६ जैन मित्र की भूल पादिकालीन चर्चरी रचनामों की परम्परा का जैन संत रत्नकीर्ति एवं साहित्य उद्भव और विकास -डा. हरीश १४३,१८० -डा० कस्तूरचन्द काशलीवाल एम०ए०पी०एच०डी० ८ ऐहोले का शिलालेख-श्री पं० के. भुजबली शास्त्री E७ जैन साहित्य का अनुशीलन कविवर बनारसीदास की सांस्कृतिक देन --डा. रवीन्द्रकुमार जैन १६३, .. -डा० इन्द्रचन्द्र एम० ए० शा ३१ कार्तिकेय (कहानी)-श्री सत्याश्रय भारती १६७,२१६ । "जैन साहित्य में मथुरा -डा. ज्योतिप्रसाद जै ६५ कार्तिकेयानुप्रेक्षा एक अध्ययन ज्ञातवंश -श्री पं० बेचरदास जी दोशी २८६ -डा० ए० एन०, उपाध्ये एम० ए० डी० लिट् झालरापाटन का एक प्राचीन वैभव ८.१ अनुवादक, कुन्दनलाल जैन एम० ए० एल०टी० २४४ -डा० कैलाशचन्द जैन एम० ए० पी० एच० डी० २.६ कवित्त -श्री रूपचन्द ११८ ।। तत्त्वोपदेश छहढाला-एक सगालोचन काष्ठासंघ स्थित माथुर संघ-गुर्वावली -श्री पं० दीपचन्द पाण्डघा ६२ -प० परमानन्द जैन शास्त्री ७९ तिरूपट्टि कुनरम् (जिनकाञ्ची) काष्ठासंघ लाट बागड़ गण की गुर्वावली -श्री टी० एन० रामचन्द्रन (अनु. डा. ए. के. -पं० परमानन्द जैन शास्त्री १३४ दीक्षित बडौत) १०१ कुछ अप्रकाशित कथा ग्रन्थ तीन विलक्षण-जिनबिम्ब -श्री नीरज जैन १२१ -कुन्दनलाल जैन एम० ए० एल०टी० ३२ दण्डनायक गंगराज-श्री पं० के० भुजबली शास्त्री २२५ क्या व्याख्या प्रज्ञप्ति पट् खंडागम का टीका ग्रन्थ था ? दर्शन का अर्थ मिलना'-श्रीपं० रतनलाल कटारिया ५० --श्री पं० कैलाशचन्द्र जैन ६ दिग्विजय (ऐतिहासिक उपन्यास) गुर्वावली नन्दितट गच्छ-पं० परमानन्द जैन शास्त्री २३५ -मानन्दप्रकाश जैन, जम्बूप्रसाद जैन २६७ अन्य एवं ग्रन्थकारों की भूमि राजस्थान देवगढ़ की जैन प्रतिमाएँ -डा० कस्तूरचन्द काशलीवाल ७७ -प्रो० कृष्णदत्त वाजपेयी, सागर विश्वविद्यालय २७ चचरी का प्राचीनतम उल्लेख दौलतरामकृत जीवंधर चरित्र-एक परिचय -डा० दशरथ शर्मा एम० ए० डी० लिट् २९८ -श्री अनूपचन्द न्यायतीर्थ ४१

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