Book Title: Agamoddharak Kruti Sandohe Part 02 Author(s): Manikyasagarsuri, Publisher: Shantichandra C Zaveri View full book textPage 6
________________ पृष्ठम पतिः ॥६॥ अशुद्धम् सम अशुद्धम् शुद्धम् | पृष्ठम् पतिः सम |३३ २ केचिन्ने यथोक्तमा० ताहर ०राट् मैत्र्य चतकानू राडू | ३५ मैत्र्यां | ३९ ५ १३ चैतकान् م नकैः विश्व ०ग् सर्वेषा० س केचिन्न , यथो तमा० ताग, ईर्ये नकः सवषा० ०वस्थान भिन्न ०व हस्स सिद्ध ०चाय० निवृत्तं. विश्व ०६४१ पापारतिः गृहस्था م ه १२ له م पापा रतिः गृहस्थाः चन्द्रावर्धितः षष्टयाः । वर्षिकैः ०मासर्वा० و ०वस्थानं भिन्न ०वयाजोण्हस्स सिद्ध ०चार्यै० . निवृत्तं ब्ध दर्य वर्तक याम له रब्ध षष्टया वार्षिकैः मासैर्वा० घस्रो ४७ १५ ०मभिम० पूर्णेति | ,,, १३ घस्त्रो ०दृश्य ॥६॥ ३२ ११ ०ममिम० १२ १८०पणेत ०वत्त यामPage Navigation
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