Book Title: Agamoddharak Kruti Sandohe Part 02 Author(s): Manikyasagarsuri, Publisher: Shantichandra C Zaveri View full book textPage 5
________________ स्यात् . शुद्धिपत्रकम् . पृष्ठम् पतिः अशुद्धम् शुद्धम् | पृष्ठम् पतिः कि गुरु० को गुरु० | १८ ५ स्याद् | १८ ७ त्वात् त्वान् | १८ १६. न्यून न्यूने | १८ १७ तन्तु: जन्तुः | १९ ५ वाये न चायेन त्पादे न त्पादेन १२ प्राग, अणु०. प्रा-गणु. मूयान् भूयान् ११ १८ विघातुमनधमनाः. विधातुमनघमनाः १२ ४ श्राद्धायोः- श्राद्धायो | २१ -१७ ०यन . ०यनं | २२ १६ १४ ४ यित्यं यित्वं | २४ १ पाप मुनिर्धों मुनिधर्मो सम्यक सम्यक्। अशुद्धम् ०व्या यतऽ० व्याधैर्यत्तेऽ० कमणां कर्मणां ह यते दृश्यते भिहि भिनहि निगच्छ० निर्गच्छ० आत्तरौद्रे आतरौद्रे ०लं न्ताबि० छन्ताब्बि० तेर्मू० राहत्पू० राहत्पू० प्रान्त्य पान्त्य तर्काणु तर्कानु. तदर्थ त्. तदर्थकत ०द्य द. तेमू० पा विरहात विरहान् ॥५॥ मथुनं . मैथुनPage Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 104