Book Title: Agamoddharak Kruti Sandohasya Part 06
Author(s): Manikyasagarsuri
Publisher: Mithabhai Kalyanchandji Pedhi
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________________ प्रमण-दिनचर्या स्त्रेऽनधीतिनां त्रगोचरः पौरुषी द्वितीयाऽपि / ___अपवादेऽर्थस्यैव, प्रथमाऽपि गृहीतस्त्राणाम् // 58 // अथ पादप्रोञ्छनकाऽऽसीना दवा क्षमाश्रमणमेकम् / / सर्वेऽपि साधवो मुखवसनमनुगुरु प्रतिलिखेयुः // 59 / प्रतिलेखनाक्षणोऽयं, साध्यो यत्नेन लग्नसमय इव / अस्मिन्काले स्फिटिते, प्रायश्चित्तं हि कल्याणं // 60 // आगन्तुकसम्मर्छजजन्तुपरिज्ञानहेतवे प्रथमम् / दृकर्णनासिकेनोपयोगमनुपात्रकं कुर्यात् / / 61 / / तिष्ठति किमिह भुजङ्गो, यत्प्रेक्ष्यत एवमिति विवदमानः / __अब किल कोऽपि शैक्षो, देवतया शिक्षयाच // 62 / / पूर्वभवविहितसम्यग्भावप्रतिलेखनामनुस्मृत्य / वल्कलचीरिकुमारो, जडोऽपि जातिस्मृति लेभे // 63 / / आज्ञा जैनीयमिति ज्ञात्वा सप्तविधपात्रनिर्योगम् / / मुखवमनवत्प्रतिलिखेत् पञ्चाधिकविंशतिस्थानः // 64 // पात्रे तानि द्वादश, बहिरन्तश्चककः करस्पर्शः।। पात्रकनियोगोऽयं, यतिसाव्योरेक एव स्यात् // 65 / / पात्रं पात्रकान्धः पात्रस्थापनकपात्रकेसरिके। पटलानि रजस्खाणं च, गोच्छकः पात्र निर्योगः // 66 // चत्वारिंशत्तलपरिधिनाडगुलानि प्रमाणमिह मध्यम् / पात्रंऽस्मादपि हीन, जपन्यमुत्कष्टमधिकं तु // 67 // P.P.AC.GunratnasuriM.S in Gun Aaqadhak Trust ned by CamScanner

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