Book Title: Agamoddharak Kruti Sandohasya Part 06
Author(s): Manikyasagarsuri
Publisher: Mithabhai Kalyanchandji Pedhi
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________________ जमण- निर्या दषा लघुपन्दनयुगमनमतिलेखना पसन्देश्य / / मनिनाक्षायो प्रतिलिख्यः परको नान्यत् // 39 / / सान्या तु यथासम्भवमवग्रहानन्तकादिकं प्रेक्ष्यम् / .. स्थाप्योऽथ नमस्कृत्य प्रतिलिख्य स्थापनाचार्यः // 40 // तदनु प्रेक्ष्य मुखपट दया लघुवन्दनद्वयं विधिना / सन्देश्यैन तयोरपरेण प्रतिलिखेदुपधिम् // 41 // उदिते सवितरि वसति, प्रमृज्य यत्नेन रेणु"पुजमथ / संशोध्य कीटकादिकमृतजन्तूंस्तत्र सङ ख्याय / / 42 / / सह गृह्य च षट्पदिकाश्च्छायायां पुञ्जकं परिष्ठाप्य / खेलादिकते कार्या, मलकभृतिन चोद्धृत्य // 43 // निक्षिप्त पुजादावीर्यापथिका यतिः प्रतिकामेत् / / यः संसक्ता वसति, प्रमार्जयेत् सोऽपि च तथैव // 44 // प्रातः प्रेक्षाद्वितये विहिते वसतिः प्रमृज्यते प्रकटम् / अङ्गप्रेक्षानन्तरमपराहणे मृज्यते वसतिः // 45 // दृष्टिप्रेक्षणपूर्व प्रमाजयेद्दण्डकाँश्च कुब्य'च। भूमिं च रजोहरणेनाभिग्रहिकस्तदितरो वा // 46 / प्रतिलेखनाऽत्र कथिता यत्किल दृष्टया निरीक्षण क्रियते / वसनरजोहरणाभ्यां, प्रमार्जनामाहुरहन्तः // 47 // * पटल। नबोभृत्य / P.P.AC. Gunratnasuri M.S in Gun Aaradhak Trust ned by CamScanner

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