Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Shwetambar
Author(s): Sudharmaswami, Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 48
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir ||संजमबहले संवरबहले गुत्ते गुत्तिदिए गुत्तबंभयारी सया अप्पमत्ते विहरिज्जा। कयरे खलु धेरैहिं भगवतेहिं दसबंभचेरसमाहिट्ठाणा|| पत्रता०?, इमे खलु ते जाव विहरिज्जा, तंजहा विवित्ताई सयणासणाई सेविजा से निग्गंथे, गोइत्पीपसुपंडगसंसत्ताई सयणासणाई सेवित्ता हवइ से निग्गंथे, तं कह इति चेदायरियाऽऽह निग्गंथस्स खलु इस्थिपसुपंडगसंसत्ताई सपणासणाई सेवमाणस्स बंभयारिस्स बंभचेरे संका वा कंखा वा वितिगिच्छ। वा समुप्पज्जिजा, भेयं वा लभिज्जा, उम्मायं वा पाणिज्जा, दीहकालियं वा रोगायंकं हविजा, केवलिपन्नत्ताओ धम्माओ वा भंसिज्जा, तम्हा नो इस्थिपसुपंडगसंसत्ताई सयणासणाई सेवित्ता हवाइ से निरगंथे।३। नो इत्थीणं कहं कहित्ता हवइ से निग्गंथे, तं कहमिति चेदायरियाऽऽह निगंथस्स खलु इत्थीणं कहं कहेमाणस्स बंभयारिस्स० भंसिज्जा रानम्हा नो इत्थीणं कहं कहिजा नो इत्थीहिं सद्धि संनिसिज्जागए विहरित्ता हवड़ से निग्गंथे, तं कह इति चेदायरियाऽऽह निग्गंथस्स खलु इत्थीहिं सद्धिं संनिसिग्जागयस्स बंभचेरे० मंसिज्जा, तम्हा खलु नो निग्गंथे इत्थीहिं सद्धिं संनिसिजागए विहरहतीनो इत्थीणं इंदियाई मणोहराई मणोरमाई आलोइत्ता निझाइत्ता हवइ से निग्गंथे, तं कहं इति चेदायरियाऽऽह निग्गंथस्स खलु इत्थीणं इंदियाई मणोहराई मणोरमाई जाव निझाएमाणस्स बंभचेरे० भंसिजा, तम्हा खलु निग्गंथे नो इत्थीणं इंदियाई निझाइजानो निग्गंथे इत्थीणं कुडंतरंसि वा दूसंतरंसि वा भित्तिअंतरंसि वा कूइयसह वा रुइयसई वा गीयसदं वा हसियसई वा थणियसई वा कंदियसई वा विलवियसई वा सुणित्ता हवड़ से निग्गथे, तं कह इति चेदायरियाऽऽह इत्थीणं कुडतरंसि वा दूसंतरसि वा भित्तिअंतरंसि ID भीउतराष्ययनसूत्रं ॥ | ३८ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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