Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Shwetambar
Author(s): Sudharmaswami, Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 110
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobairm.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir वन्नओ परिणया जे 3, पंचहा ते पकित्तिया। किण्हा नीला य लोहिया, हालिहा सुक्किला तहा॥९॥ गंधओ परिणया जे य|| दुविहा ते वियाहिया। सुब्भिगंधपरिणामा, दुब्भिगंधा तहेव य॥१३९०॥ रसओ परिणया जे 3, पंचहा ते पकित्तिया। |तित्तकडुयकसाया, अंबिला महरा तहा॥१॥ फासओ परिणया जे 3, अनुहा ते पकित्तिया। कक्खडा मज्या चेव, गुरुया लहुया तहा॥२॥ सीया उण्हा य निद्धा य, तहा लुक्खा य आहिया। इति फासपरिणया एए, पुग्गला समुदाहिया॥३॥ संठाणपरिणया |जे 3, पंचहा ते पकित्तिया। परिमंडला य वट्टा य, तंसा चरंसमायया॥४॥ वण्णओ जे भवे किण्हे, भइए से 3 गंधो रसओ फासओ चेव, भइए संठाणओऽविय॥५॥ वण्णओ जे भवे नीले, भइए०॥६॥ वण्णओ लोहिए जे 3, भइए से 3 गंधारसओ फासओ चेव, भइए संठाणओविय॥७॥वण्णओ पीअए जे 3, भइए से 3 गंधरसओ फासओ चेव, भइए संठाणओऽवि॥८॥ वण्णओ सुक्किले जे 3, भइए से 3 गंधओ। रसओ फासओ चेव, भइए संठाणओऽवि॥९॥ गंधे जे भवे सुब्भी, भइए से 3 वण्णओ। रसओ फासओ चेव, भइए संठाणओऽवि॥१४००॥ गंधओ जे भवे दुब्भी, भइए से 3 वण्णओ। रसओ फासओ) चेव, भइए संठाणओविय॥१॥रसओ तित्तओ जे 3, भइए से 3 वनओ। गंधओ फासओ चेव, भइए संठाणओविय॥२॥ रसओ कडुए जे 3, भइए से 3 वण्णओ। गंधओ फासओ चेव, भइए संठाणओविय॥३॥ रसओ कसाए जे 3, भइए से 3 वण्णओ। |गंधओ फासओ चेव, भइए संठाणओविय॥४॥ रसओ अंबिले जे 3, भइए से 3 वण्णओ। गंधओ फासओ चेव, भइए ॥ श्रीउत्तराध्ययनसूत्रं ॥ | १०० पू. सागरजी म. संशोधित || For Private And Personal

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