Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Shwetambar
Author(s): Sudharmaswami, Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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विझढंमि सए काए, पणगजीवाण अंतरं ॥७॥ एएसिं वण्णओ० ॥८॥ इच्चेए थावरा तिविहा, समासेण वियाहिया । इत्तो उ तसे तिविहे, वुच्छामि अणुपुव्वसो ॥९॥ तेऊ वाऊ य बोद्धव्वा, ओराला य तसा तह।। इच्चेए तसा तिविहा, तेसिं भेए सुणेह मे ॥१४८० ॥ दुविहा तेउजीवा उ, सुहमा बायरा तहा। पज्जत्तमपज्जत्ता, एवमेव दुहा पुणो ॥ १ ॥ बायरा जे 3 पज्जत्ता, णेगहा ते वियाहिया । इंगाले मुम्मुरे अगणी, अच्चि जाला तहेव य॥२॥ उक्का विज्जू य बोद्धव्वा, णेगहा एवमायओ। एगविहमनाणत्ता, सुहमा ते वियाहिया ॥ ३ ॥ सुहुमा० ॥४॥ संतई पप्प० ॥५॥ तिन्नेव अहोरत्ता, उक्कोसेण वियाहिया । आउठिई तेऊणं, अंगेमुहत्तं जहन्नयं ॥६॥ असंखकालमुक्कोसा० । कायठिई तेऊणं० ॥७॥ अनंतकालमुक्कोसं, अंतोमुहुत्तं जहन्नयं । विझढंमि सए काए, ते जीवाण अंतरं ॥८॥ एएसिं वन्नओ० ॥९॥ दुविहा वाउजीवा य, सुहमा बायरा तहा। पज्जत्तमपज्जत्ता, एवमेव दुहा पुणो ॥१४९० ॥ बायरा जे उ पज्जत्ता, पंचहा ते पकित्तिया । उक्कलिया मंडलिया, घण गुंजा सुद्धवाया य ॥१॥ संवट्टगवाए य, णेगहा एवमाअओ। एगविहमणाणत्ता, सुहमा तत्थ वियाहिया ॥२॥ सुहुमा सव्वलो ० ॥३॥ संतई पप्प० ॥४॥ तिन्नेव सहस्साई, वासाणुकोसिया भवे । आउटिई वाऊगं अंतोमुहुत्तं जहन्नयं ॥ ५ ॥ असंखकाल० । कायठिई वाऊणं० ॥६॥ अनंतकालमुक्कोसं० । विजढंमि सए काए, वाउजीवाण अंतरं ॥७॥ एएसिं वन्नओ० ॥८॥ ओराला तसा जे उ, चउहा ते पकित्तिया । बेइंदिय तेइंदिय, चउरो पंचिंदिया चेव ॥९॥ बेइंदिया उ जे जीवा, दुविहा ते पकित्तिया पजत्तमपज्जत्ता, तेसिं भेए सुणेह मे ॥ १५०० ॥ किमिणा सोमंगला चेव, अलसा माइवाहया । वासीमुहा य ॥ श्रीउत्तराध्ययनसूत्रं ॥
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पू. सागरजी म. संशोधित
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