Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Shwetambar
Author(s): Sudharmaswami, Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 111
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalashsagarsuri Gyanmandir |संठाणओऽवि॥५॥ रसओ महरए जे 3, भइए से 3 वण्णओ। गंधओ रसओ चेव, भइए संठाणओविय॥६॥ फासओ कक्खडे || जे 3, भइए से 3 वण्णओर गंधओ रसओ चेव, भइए संठाणओविय॥७॥ फासओ मउए जे 3, भइए से 3 वण्णओ। गंधओ रसओ चेव, भइए संठाणओवियो॥८॥ फासओ गुरुए जे 3, भइए से 3 वण्णओ। गंधओ रसओ चेव, भइए संठाणओविय॥९॥ फासओ लहुए जे उ, भइए से 3 वण्णओ। गंदओ रसओ चेव, भइए संठाणओविय॥१४१०॥ फासओ सीअए जे 3, भइए से 3 वण्णओ। गंधओ रसओ चेव, भइए संठाणओविय॥१॥ फासओ उण्हए जे 3, भइए से 3 वण्णओ। गंधओ रसओ चेव, भइए संठाणओविय॥२॥ फासओ निद्धए जे 3, भइए से 3 वण्णओ। गंधओ रसओ चेव, भइए संठाणओविय॥३॥ फासओ लुक्खए जे 3, भइए से 3 वण्णओ। गंधओ रसओ चेव, भइए संठाणओविय॥४॥ परिमंडलसंठाणे, भइए से 3 वण्णओ गंधओ/ रसओ चेव, भइए फासओवियो५॥ संठाणओ भवे वट्टे, भइए से 3 वण्णओ। गंधओ रसओ चेव, भइए फासओविय॥६॥ संठाणओ भवे तंसे, भइए से 3 वण्णओ गंथओ रसओ चेव, भइए फासओऽविया ॥ संठाणओ च चरंसे, भइए से 3 वण्णओ। |गंधओ रसओ चेव, भइए फासओविय॥८॥ जे आयसंठाणे, भइए से 3 वन्नओ। गंपओ रसओ चेव, भइए फासओविय॥९॥ |एसा अजीवविभत्ती, समासेण वियाहिया। इत्तो जीवविभत्ति, वुच्छामि आणुपुव्वसो॥१४२०॥ संसारत्त्था य सिद्धा ३, दुविहा/ जीवा वियाहिया। सिद्धा णेगविहा वुत्ता, तं मे कित्तयओ सुण॥१॥ इत्थी पुरिससिद्धा य, तहेव य नपुंसगा। सलिंगे अन्नलिंगे In श्रीउत्तराध्ययनसूत्र । पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

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