Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Shwetambar
Author(s): Sudharmaswami, Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 55
________________ Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.ong सामने पज्जुवद्विओ । (१ प्रक्षिमा ) । करकंडू कलिंगाणं (गेसु), पंचालाण (लेसु) य दुम्मुहो। णमी राया विदेहाणं ( हेसु), गंधाराण (रेसु ) य नगई ॥ २ ॥ एए नरिंदवसभा, निक्खता जिणसासणे । पुत्ते रज्जे ठवित्ताणं, सामने पज्जुवद्विआ ॥३॥ सोवीररायवसभो, चइत्ताण मुणी चरे। उदायणो पव्वइओ, पत्तो गइमणुत्तरं ॥४॥ तहेव का सिरायावि, सेओ सच्चपरक्कमो । कामभोगे परिच्चज, पहणे कम्ममहावणं ॥ ५ ॥ तहेव विजओ राया, अणट्टा ( आणट्ठा) कित्तिपव्वए । रज्जं तु गुणसमिद्धं, पयहित्तु महायसो ॥६॥ तहेवुग्गं तवं किच्चा, अव्व(स) क्खित्तेण चेयसा । महाबलो रायरिसी, अद्दा (आदा) य सिरसा (सो) सिरं (रिं) ॥७॥ कहं धीरो अहे ऊहिं, उम्मत्तोव्व महिं चरे ? | एए विसेसमादाय, सूरा दढपरक्कमा ॥८॥ अच्चंतनियाणक्खमा, एसा (सव्वा ) मे भासिया वई । अतरिंसु तरंतेगे (ऽण्णे), तरिस्संति अणागया ॥ ९ ॥ कहं धीरे अहे ऊहिं, अद्दायं परियावसे । सव्वसंगविणिभ्भुक्को, सिद्धे भवइ नीरए ॥ ६०० ॥ ति बेमि, संजइज्जं १८॥ सुग्गीवे नयरे रम्मे, काणणुज्जार्णसोहिए। राया बलभददुत्ति, मिया तस्सऽग्गमाहिसी ॥१॥ तेसिं पुत्ते बलसिरी, मियापुत्तत्ति विस्सुए। अभ्मापिऊहिं दइए, जुवराया दमीसरे ॥ २ ॥ नंदणे सो उ पासाए, कीलए सह इत्थिहिं । देवो दोगुंदगो चेव, निच्चं मुझ्यमाणसो ॥३॥ मणिरयणकुट्टिमलतले, पासायालोअणे ठिओ । आलोएइ नगरस्स, चउक्कतियचच्चरे ॥४॥ अह तत्थ अइच्छंतं, पासई समणसंजयं । नवनियमसंजमधरं, सीलड्ढं गुणआगरं ॥ ५ ॥ तं पेहई मियापुत्ते, दिट्ठीए अणिमिसाइ 31 कहिं मन्नेरिसं रूवं, ॥ श्रीउत्तराध्ययनसूत्रं ॥ पू. सागरजी म. संशोधित ४५ For Private And Personal

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