Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 7
________________ जाति-पांति और साम्प्रदाधिकता रहित विशुद्ध विनय-प्रधान अनुशासित जीवन को अवश्य अपनायेंगे तथा भगवान महावीर की वाणी को हृदय में प्रतिक्षण अनुगु जित करते रहेंगे। "समयं गोयम ! मा पमायए" हे गोतम ! समय /अवसर को समझ और क्षण मात्र भी प्रमाद मतकर । पारसमल भंसाली म. विनयसागर निदेशक देवेन्द्रराज मेहता सचिव अध्यक्ष श्री जैन श्वे नाकोड़ा प्राकृत भारती प्रकादमी प्राकृत भारती पार्श्वनाथ तीर्थ अकादमी मेवानगर जयपुर जयपुर चयनिका ] viin

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