Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Chayanika Author(s): Kamalchand Sogani Publisher: Prakrit Bharti Academy View full book textPage 5
________________ प्रकाशकीय डॉ. कमलचन्दजी सोगाणी संकलित "उत्तराध्ययन-चयनिका को प्राकृत भारती अकादमी और श्री जैन श्वेताम्बर नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ के संयुक्त प्रकाशन के रूप में प्राकृत भारती का 51 वां पुष्प सुज्ञ पाठकों के कर कमलों में प्रस्तुत करते हुए हार्दिक प्रसन्नता जैनागमों में मल सूत्रों का स्थान अत्यन्त महत्वपूर्ण है और उसमें भी उत्तराध्ययन सूत्र का प्रथम स्थान है। विशेषतः भाषा, विपय और शैली की दृष्टि से भाषाविद् इसे अत्यन्त प्राचीन मानते हैं। इसका रचना/संकलन काल मी आचारांग सूत्र एव सूत्रकृताग के परवर्तीकाल का और अन्य आगमों से पूर्ववर्ती माना जाता है । इस ग्रन्थ के अनेक स्थलों की तुलना बौद्धों के सुत्तनिपात, जातक और धम्मपद प्रादि प्राचीन ग्रन्थों से की जा सकती है। इस सूत्र में 36 अध्ययन हैं । आचार्य भद्रबाहु रचित उत्तराध्ययन की नियुक्ति के अनुसार इसके 36 अध्ययनों में कुछ अंग सूत्रों में से लिये गये हैं, कुछ जिनभाषित हैं, कुछ प्रत्येकबुद्धों द्वारा प्रपित हैं और कुछ संवाद रूप में लिखे गये हैं। चयनिका ]Page Navigation
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