Book Title: Agam 43 Mool 04 Uttaradhyayan Sutra Chayanika
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Prakrit Bharti Academy

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Page 6
________________ उत्तराध्ययन में संयममय जीवन जीने की कला की सूक्ष्म अभिव्यक्ति सर्वत्र परिलक्षित होती है । साधनामय जीवन को प्ररणा का स्रांत, अनुशासित जीवन श्रोर श्राचारप्रधान होने के कारण इस ग्रन्थ का अत्यन्त प्रचार-प्रसार रहा है । मूर्धन्य मनीषियोंवादिवेताल शान्तिसूरि, नेमिचन्द्रसूरि ज्ञानसागरसूरि, विनयहंस, कोर्तिवन्लभ गणि, कमल संयमोपाध्याय, तपोरत्न माणिक्यशेखरसूरि, गुणशेखर. लक्ष्मीवल्लभोपाध्याय, भावविजयगग्गि, वादी हर्पनन्दन, घर्ममन्दिर, जयकीति, कमललाभ ग्रादि अनेकों ने संस्कृत में टीकायें, भाषा में बालावत्रीच यादि लिखे हैं । ग्राज भी अंग्रेजी, हिन्दी, गुजरानी आदि भाषाओं में इसके अनेकों अनुवाद प्रकाशित हो चुके है। ऐसे महत्वपूर्ण ग्रन्थ से जन-साधारण भी परिचित हो जाये और अनुशासित जीवन को अपनाकर अनासक्ति पूर्ण श्रात्मसाधना की और अग्रसर हो सके इस दृष्टि से श्री सोगाणी जी ने यह चयनिका तैयार की है। --- श्री सोगाणी जी ने अपनी विशिष्ट शैली में ही उत्तराध्ययन की 152 गाथाओं का हिन्दी अनुवाद, व्याकरणिक विश्लेषण और विस्तृत प्रस्तावना के साथ इसका सम्पादन कर प्रकाशनार्थं प्राकृत भारती को प्रदान की एतदर्थं हम उनके हृदय से आभारी हैं । हमारे अनुरोध को स्वीकार कर श्री रणजीत सिहजी कूमट, ग्राई. ए. एस. ने इसका प्राक्कथन लिखा, अतः हम उनके प्रति भी आभार व्यक्त करते हैं । हमें पूर्ण विश्वास है कि प्राकृत भाषा के विज्ञ पाठक गीता सदृशं इस चयनिका के माध्यम से उत्तराध्ययन सूत्र का हार्द समझकर उत्तराध्ययन ] vi ]

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