Book Title: Agam 41 Mool 02 Ogh Pind Niryukti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 43
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobetirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जइ पुण सव्वाराहणमिच्छसि तो णं निसामेहि ॥२८०॥ पंचिंदिएहिं गुत्तो मणमाईतिविहकरणमाउत्तो। तवनियमसंजमंमि अ जुत्तो || आराधओ होइ॥१॥ इंदियविसयनिरोहो पत्तेसुवि रागदोसनिग्गहणी अकुसलजोगनिरोहो कुसलोदय एगभावो वा॥१६७॥ भा०॥ अभितरबाहिरगं तवोवहाणं दुवालसविहं तु। इंदियतो पुव्वुत्तो नियमो कोहाइओ बिइओ॥८॥ पुढविदगअगणिमारुअवणस्सइबितिच्क्षपंचिंदी। अजीव पोत्थगाइसु गहिएसु असंजमो जेणं॥९॥ पेहेत्ता संजमो वुत्तो, उपेहित्तावि संजमो। पमजेता संजमो वुत्तो, परिहावेत्तावि संजमो॥१७०॥ठाणाइ जत्थ चेए पुव्वं पडिलेहिऊण चेएजा।संजयगिहिचोयणऽचोयणे य वावारओवेहा॥१॥ उवगरणं अइरेगं पाणाई वाऽवहटु संजमणी सागारिएऽपमज्जण संजम सेसे पमजणया॥२॥ जोगतिगं पुव्वभणिों सभत्तपडिलेहणाए सझाओ। चरिमाए पोरिसीए पडिलेह तआ 3 पाय दुगं॥१७३॥ भा०पोरिसि पमाणकालो निच्छयववहारिओ जिणक्खाओ।निच्छयओ करणजुओ ववहारमतो परं वोच्छं ॥२८२॥ अयणाईयदिणगणे अट्ठगुणेगट्ठिभाइए लद्धी उत्तरदाहिणमाई पोरिसि पयसुझपक्खेवा॥३॥ अद्वैगसद्विभागा खयवुड्ढी होइ जं अहोरत्ते। तेणढगुणकारो एगट्ठी सूरतेएणं।०२४॥ आसाढे मासे दो पया, पोसे मासे चउप्पया। चित्तासोएसु मासेसु, तिपया हवइ पोरिसी ॥४॥ अंगुलं सत्तरत्तेणं, पक्खेणं तु दुअंगुली वड्ढए हायए वावि, मासेणं चउरंगुली५॥ आसाढबहुलपक्खे भद्दवए कत्तिए य पोसे यो फग्गुणवइसाहेसु य बोद्धव्वा ओमरत्ताओ॥६॥ जेट्ठामूले आसाढसावणे छहिं अंगुलेहिं पडिलेहो। अहिं बीअतियंमि य तइए दस अट्ठहिं चउत्थे॥७॥ उवजिऊण पुव्वं तल्लेसो ||॥श्री ओपनियुक्तिसूत्र॥ [ ३२ पू. साम्रजी म. संबोधित For Private And Personal Use Only

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