Book Title: Agam 41 Mool 02 Ogh Pind Niryukti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 137
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir भरिए कुउवाइसू इयरा॥७॥ सच्चित्ते अच्चित्ते मीसग पिहियंमि होइ चउभंगो। आइतिगे पडिसेहो चरिभे भंगमि भया उ॥८॥|| जह चेव उ निक्खित्ते संजोगा चेव होंति भंगा यो एमेव य पिहियंमिवि नाणत्तमिणं तइयभंगे॥९॥ अंगारधूवियाई अणंतरो संतरो सरावाईतत्थेव अइरवाऊ परंपरं वत्थिणा पिहिए॥५६०॥अरं फलाइपिहितं वर्णमि इयरं तु छब्ब( पिच्छ )पिढराईकच्छवसंचाराई अणंतराणंतरे छठे॥१॥ गुरु गुरुणा गुरु लहुणा लहुयं गुरुएण दोऽवि लहुयाई अच्चित्तेणवि पिहिए चउभंगो दोसु अग्गेझ॥२॥ सच्चित्ते अच्चित्ते मीसग साहारणे य चउभंगो। आइतिए पडिसेहो चरिभे भंगमि भयणा 3 (गहणे आणाइणो दोसा) ॥३॥ जह चेव उ निक्खित्ते संजोगा चेव होंति भंगा यो तह चेव उ साहरणे नाणत्तमिणं तइयभंगे॥४॥ मत्ते॥ जेण दाहिइ तत्थ अदिज तु होज्ज असणाई। छोद तयाहि तेणं देई अह होइ साहरण॥५॥ भूमाइएसु तं पुण साहरणं होइ छसुवि काएसुो जं तं दुह। | अचित्तं साहरणं तत्थ चउभंगो॥६॥ सुक्के सुकं पढमो सुक्के उल्लं तु बिइयओ भंगो। उल्ले सुक्कं तइओ उल्ले उल्लं चउत्थो 3॥७॥ एकेके चउभंगो सुक्काईएतु होइ (चउसु) भंगेसु। थोवे थोवं थोवे बहुं च विवरीय दो अने॥८॥ जत्थ ३ थोवे थोवं सुके उल्लं च छुहइ तं गेझो जइ तं तु समुक्खे थोवाहारं दलइ अन॥९॥उखेवे निक्खेवे महल्लभाणमि लुद्ध वह डाहो अचियत्तं वोच्छेओ छक्कायवहो य गुरुमत्ते( दोसुवि भंगेसु बहुआ 3) ॥५७०॥ थोवे थोवं छूढं सुकं उल्लं तु तं तु आइनी बहुयं तु अणाइन कडदोसो सोत्ति काऊणं॥१॥ बाले वुड्ढे मत्ते उम्भत्ते वेविए य जरिए यो अंधिलए पगलिए आरूढे पाउयाहिं च॥२॥ हत्थऽदुनियलबद्धे श्री पिण्डनियुक्ति सूत्र पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147