Book Title: Agam 41 Mool 02 Ogh Pind Niryukti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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पच्छ। य नायव्वो॥४॥ मायपिइ पुव्वसंथव सासूसुसराइयाण पच्छ। 31 गिहि संथव संबंध करेइ पुव्वं च पच्छा वा॥५॥ आयवयं च परवयं नाउ संबंधए तयणुरूवी मम माया एरिसिया ससा व धूया व नत्ताई॥६॥ अद्धिई दिट्ठिपण्हव पुच्छा कहणं ममेरिसी जणणी। थ्णखेवो संबंधो विहवासुण्हाइदाणं च॥७॥ पच्छासंथवदोसा सासू विहवादिधूयदाणं ची भज्जा ममेरिसिच्च्यि सज्जो धाओ व भंगो वा॥८॥ मायावी चडुयारी अहं ओहावणं कुणइ एसोनिच्छुभाई पंतो करिज भद्देसु पडिबंधो॥९॥ गुणसंथवणे पुब्वि संतासंतेण जो थुणिज्जाहिदायारमदिन्नंभी सो पुब्दिसंथवो हवइ ॥४९०॥एसो सो जस्स गुणा वियरंति अवारिया दसदिसासु। इहरा कहासु सुणिमो (ब्वसि) पच्चक्खं अज्ज दिट्ठो सि॥१॥ गुणसंथवेण पच्छ। संतासंतेण जो थुणिज्जाहि। दायारं दिनभी सो पच्छासंथवो होइ॥२॥ विमलीकयऽह चक्खू जहत्थ्या (ओ) वियरिया गुणा तुझी आसि पुराणे संका संपय निस्संकियं जायं॥३॥ विज्जामंतपरूवण विजाए भिक्खुवासओ होइ। मंतंमि सीसवेयण तत्थ मुरुंडेण दिटुंतो॥४॥ परिपिंडणमुल्लावो अइपंतो भिक्खुवासओ दावे। जइ इच्छइ अणुजाणह घयगुलवत्थाणि दावेमि॥५॥ गंतु विजामंतण किं देमि? ध्यं गुलं च वत्थाई। दिन्ने पडिसाहरणं केण हियं केण मुट्ठो मि?॥६॥ पडिविजथंभणाई सो वा अन्नो व से करिज्जाहि। पावाजीवीमाई कम्मणगारी य गहणाई ॥७॥जह जह पएसिणी जाणुगंमि पालितओ भमाडेइ। तह तह सीसे वियणा पणस्सइ मुरुंडरायस्स॥८॥पडिभतथंभणाई सो वा अन्नो व से करिज्जाहि। पावाजीवियमाई कम्मणगारी भवे बीय॥९॥ चुन्ने अंतद्धाणे चाणके पायलेवणेसभिए। मूल विवाहे श्री पिण्डनियुक्ति सूत्र॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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