Book Title: Agam 41 Mool 02 Ogh Pind Niryukti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 81
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आयाणे निक्खेवे ठाणनिसीयणतुयट्टसंकोए। पुव्वं पमजणहा लिंगठा चेव स्यहरणं॥१॥ चउरंगुलं विहत्थी एयं मुहणंतगस्स 3 | पमाणो बितिथं मुहप्यमाणं गणणपमाणेण एक्ककं ॥२॥ संपातिमयरेणूपमजणवा वयंति मुहपुत्ति। नासं मुहं च बंधइ तीए वसहिं पमजतो॥३॥जो मागहओ पत्थो सविसेसतरं तु मत्त्ययमाणो दोसुवि दव्वग्गहणं वासावासासु अहिगारो॥४॥ सूवोदणस्स भरिओ दुगाउअद्धाणमागओ साहू। भुंजइ एगट्टाणे एवं किर मत्तयपमाणं॥५॥ संपाइमतसपाणा धूलिसरिक्खे या सरक्खा परिगलंतंमि। पुढविदगअगणिमारुयउद्धंसण खिसणा डहरे॥६॥ आयरिए २ गिलाणे पाहणए दुल्लभे सहसदाणे। संसत्तभत्तपाणे | मत्तगपरिभोगऽणुन्नाओ॥७॥ एकमि उ पाउग्गं गुरुणो बितिओग्गहे य पडिकुटुं। गिण्हइ संघाडेगो धुवलंभे सेस उभयंपि॥८॥ असई लाभे पुण मत्तए य सव्वे गुरूण गेण्हंति। एसेव कमो नियमा गिलाणसेहाइएसुंपि॥९॥ दुल्लभदव्यं व सिया ध्याइ तं मत्तएसु गेण्हंति। लद्धेवि 3 पज्जत्ते असंथरे सेसगढाए॥७२०॥ संसत्तभत्तपाणेसु वावि दो( दे )सेसु मत्तए गहणी पुव्वं तु भत्तपाणं सोहेउ छुहंति इयरेसु॥१॥ दुगुणो चउग्गुणो वा हत्थोचरंस चोलपट्टो । थेरजुवाणाणहा सण्हे थुलंमि य विभासा॥२॥ वेवि वाउडे वातिएऽहिए खद्धपजणणे चेवा तेसिं अणुग्गहत्था लिंगुदयट्ठा य पट्टो 3॥३॥ संथारुत्तरपट्टो अड्ढाइजा य आयया हत्या। दोणअहंपिय वित्थारो हत्थो चउरंगुलंचेव॥४॥ पाणादिरेणुसारक्खणढ़या होति पट्टगा चउरो। छप्पइयरक्षणढा तत्थुवरि खोमियं कुजा॥५॥ स्यहरणपट्टमेत्ता अदसागा किंचि वा समतिरेगा। एकगुणा 3 निसेजा हत्थपमाणा सपच्छागा॥६॥ वासोवगहिओ श्री ओघनियुक्ति पू. सागरजी म. संशोषित For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147