Book Title: Agam 41 Mool 02 Ogh Pind Niryukti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 115
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | तं दिन्नं मा संपइ देहि गेण्हति ॥७॥ रसभायणहेउं वा मा कुच्छिहिई सुहं व दाहामि । दहिमाई आयत्तं करेइ कूरं कडं एयं ॥ ८ ॥ | मा कार्हति अवण्णं परिकट्टलियं व दिज्जइ सुहं तु । वियडेण फाणिएण व निद्धेण समं तु वट्टंति ॥९ ॥ एमेव य कम्मंमिऽवि उण्हवणे नवरि तत्थ नाणत्तं । तावियविलीणएणं मोयगचुन्नीपुणक्करणं ॥ २४० ॥ अमुगंति पुणो रुद्धं दाहमकथ्यं तु आरओ कप्पं । खेत्ते अंतो बाहिं काले सुइव्वं परेव्वं वा ॥१॥ जं जह व कयं दाहं तं कप्पड़ आरओ तहा अकयं । कयपाकमणिट्ठन्ति ठियंपि जावन्तियं मोत्तुं ॥ २ ॥ छक्कायनिरणुकंपा जिणपवयणबाहिरा बहिप्फोड।। एवं वयंति फोडा लुक्कविलुक्का जह कवोडा ॥ प्र० २ ॥ पूर्वकम्मं दुविहं | दव्वे भावे य होइ नायव्वं । दव्वंमि छगणधम्मिय भावंमि य बायरं सुहमं ॥ ३ ॥ गंधाइगुणसमिद्धं जं दव्वं असुइगंधदव्वजुयं । पूइत्ति परिहरिज्जइ तं जाणसु दव्वपूइति ॥४॥ गोट्ठिनिउत्तो धम्मी सहाए आसन्नगोट्टिभत्ताए । समियसुरवल्लमीसं अजिन्न सन्ना महिसिपोहो ॥ ५ ॥ संजायलित्तभत्ते गोट्ठिगगंधोत्ति व ( चु)ल्लवणिआयो । उक्खणिय अन्नछगणेण लिंपणं दव्वपूई ऊ ॥ ६ ॥ | उग्गमकोडी अवयवमित्तेणवि मीसियं सुसुद्धपि । सुर्द्धपि कुणइ चरणं पूर्वं तं भावओ पूई ॥७॥ आहाकम्मुद्देसिय मीसं तह बायरा य पाहुडिया । पूई अज्झोयरओ उग्गमकोडी भवे एसा ॥८॥ बायर सुहमं भावे उ पूइयं सुहममुवरि वोच्छामि। उवगरण भत्तपाणे | दुविहं पुण बायरं पूर्वं ॥ ९ ॥ चुल्लुक्खलिया डोए दव्वीछूढे य मीसगं पूई । डाए लोणे हिंगू संकामण फोडणे धूमे ॥ २५० ॥ सिज्झतस्सुवयारं दिज्जंतस्स व करेइ जं दव्वं । तं उवकरणं चुल्ली उक्खा दव्वी य डोयाई ॥ १ ॥ चुल्लुक्खा कम्माई आइमभंगेसु ॥ श्री पिण्डनिर्युक्ति सूत्रं ॥ १८ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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