Book Title: Agam 41 Mool 02 Ogh Pind Niryukti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
ठिए य अंतो डिंभाईलणे दोसा॥५॥ धेष्यइ अकुंचियागंमि कवाडे पइदिणे परिवहते। अजऊमुद्दिय गंठी परिभुज्जइ दद्दरो जो | य॥६॥मालोहडंपि दुविहं जहन्नमुक्कोसगं च बोद्धव्वो अगतले(पए)हि जहनं तब्विवरीयं तु उक्कोसं॥७॥ भिक्खू जहन्नगंभी गेरुय उक्कोसगंमि दिलुतो। अहिडसणमालपडणे य एवमाई भवे दोसा॥८॥ मालाभिमुहं दठूण अगारि निग्गओ तओ साहू। तच्चत्रिय आगमणं पुच्छ। य अदित्रदाणत्ति॥९॥मालंमि कुट्ठ मोयग सुगंध अहि पविसणं करे डक्का।अन्नदिण साह आगम निद्दय कहणा य संबोही॥६॥ आसंदिपीढमंचकजं तोडूखल पडंत उभयवहे। वोच्छेयपओसाई उड्डाहमनाणिवाओ य॥१॥ एमेव य उक्कोसे वारण निस्सेणि गुव्विणीपडणी गब्भित्थिकुच्छिफोडण पुरओ मरणं कहण बोही॥२॥ उड्ढमहे तिरियंपिय अहवा मालोहडं भवे तिविही उड्ढमहे ओयरणं भणियं कुंभाइसू उभयं॥३॥ददरसिलसोवाणे पुव्वारूढे अणुच्चमुक्खित्तेमालोहडं न होइ सेसंभालोहडं होइ ॥४॥ तिरियाय उजुगएण गिण्हई जं करेण पासंतो। एयमणुच्चुक्खित्तं उच्चुक्खित्तं भवे सेसं॥५॥ अच्छिज्जपिय तिविहं पभू य सामी य तेणए चेवो अच्छिज्ज पडिकुटुं सभणाण न कप्पए घेत्तुं॥६॥ गोवालए य भयए खरए पुत्ते य घूय सुण्हाए। अचियत्तसंखडाई केइ पओसं जहा गोवो॥७॥ गोवपओ अच्छेत्तुं दिनं तु जइस्स भइदिणे पहु। ५यभाणूणं दर्छ खिंसइ भोई रुवे चेडा॥८॥ पडियरण पओसेणं भावं नाउँ जइस्स आलावो। तत्रिबंधा गहियं हंदि स(3) मुक्को सि मा बीयं॥९॥ नानिविटुं लब्भइ दासीवि न भुजए रिते भत्ता। दोन्नेगयरपओसं जं काही अंतरायं च॥३७०॥ सामी चारभडा वा संजय दळूण तेसि श्री पिण्डनियुक्ति सूत्र॥
पू. सागरजी म. संशोधित
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147