Book Title: Agam 41 Mool 02 Ogh Pind Niryukti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 99
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir || न गिहए लोओ। जं पुण लोयपसिद्धं तं सामइया उवचरंति॥६॥ भा०। अक्खे वराडए वा कढे पुत्थे व चित्तकम्मे वाjl सब्भावमसब्भावे ठवणापिंडं वियाणाहि ॥७॥ इको 3 असब्भावे तिण्हं ठवणा उ होइ सब्भावे। चित्तेसु असब्भावे दारुअलेप्पोवले सियरो॥७॥भा०। तिविहो 3 दव्वपिंडो सच्चित्तो भीसओ अचित्तो यो एकेकस्स य एत्तो नव नव भेआ 3 पत्तेयं॥८॥ पुढवी आउकाओ तेऊ वाऊ वणस्सई चेवा बेइंदियि तेइंदिय चउरो पंचेंदिया चेव॥९॥ पुढवीकाओ तिविहो सच्चित्तो मीसओ य अच्चित्तो। | सच्चित्तो पुण दुविहो निच्छयववहारओ चेव॥१०॥ निच्छयओ सच्चित्तो पुढविमहापव्वयाण बहुमझे। अच्चित्तमीसवज्जो सेसो ववहारसच्चित्तो॥१॥खीरदुमहे? पंथे कट्ठोले इंधणे य भीसो उ। पोरिसि एग दुग तिगं बहुइंधणमझथोवे य॥२॥ सीउण्हखारखते अग्गीलोणूसअंबिलेनेहे।वुकंतजोणिएणं पयोयणं तेणिभं होइ॥३॥अवरद्धिगविसबंधे लवणेण व सुरभिउक्लएणं वा।अच्चित्तस्स उगहणं पओयणं तेणिमंचऽन्न४॥ठाणनिसियणतयण उच्चाराईण चेव उस्सम्गो।घट्टगडगलगलेवो एमाइ पओयणं बहा॥५॥ आउकाओ तिविहो सच्चित्तो भीसओ य अच्चित्तो। सच्चित्तो पुण दुविहो निच्छयववहारओ चेव॥६॥ घणउदही घणवलया करगसमुद्दद्दहाण बहुमझे। अह निच्छ्यसच्चित्तो ववहारनयस्स अघडाई॥७॥ उसिणोदगमणुवत्ते दंडे वासे य पडियभित्तमि। भोत्तूणादेसतिगं चाउलउदगेऽबहु पसत्रं ॥८॥ भंडगपासविलग्गा उत्तेडा बुब्बुया न संमंति। जा ताव भीसगं तंदुला य रझंति जावऽन्ने ॥९॥ एए3 अणाएसा तित्रिवि कालनियमस्सऽसंभवओआलुखेयरभंडगपवणसंभवासंभवाईहिं ॥२०॥ जाव न बहुप्पसनं ॥ श्री पिण्डनियुक्ति सूत्र॥ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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