Book Title: Agam 41 Mool 02 Ogh Pind Niryukti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 109
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जह नामंमि तहेव य खेत्ते काले य नायव्यं५॥ दस ससिहागा सावग पवयणसाहभ्भिया न लिंगेणी लिंगेण 3 साहभ्भी नो पवयण निण्हगा सव्वे॥६॥ विसरिसदसणजुत्ता पवयणसाहम्मिया न दंसणओ। तित्थगरा पत्तेया नो पवयणदंससाहमी ॥७॥ नाणचरित्ता एवं नायव्वा होति पवयणेणं तु पश्यणओ साहम्मी नाभिन्गहसावगा जइणो॥८॥ साहम भिग्गहेणं नो पवयण निण्ह तित्थ पत्तेया। एवं पवयणभावण एत्तो सेसाण वोच्छामि॥९॥ लिंगाईहिवि एवं एक्वेकेणं तु उवरिमा नेया। जेऽनने उवरिला ते मोत्तुं सेसए एवं॥१५०॥लिंगेण उसाहम्मी नदसणे वीसुदंसि जइनिण्हापत्तेयबुद्ध तित्थंकराय बीयंमिभंगमि॥१॥लिंगेणउ नाभिग्गह अणभिगह वीसुऽभिग्गहा चेवो जइसावग बियभंगे पत्तेयबुहा य तित्थयरा ॥२॥ एवं लिंगेण भावण सणनाणे य पढमभंगो 30 जइसावा विसुनाणी एवं चिय बिइयभंगोऽवि॥३॥दसणचरणे पढमो सावा जइणो य बीयभंगो उ। जइणो विसरिसदंसी दंसेय अभिग्गहे वोच्छं ॥४॥सावज वीसऽभिग्गह रढमो बीओय भावणा चेवी नाणेणऽविनेज्जेवं एत्तो चरणेण वोच्छामि॥५॥ जइणो वीसाभिगह पढमो बिय निण्हसावगजइणो 3 (ईणो)। एवं तु भावणासुऽवि वोच्छं दोण्हंतिमाणित्तो॥६॥ जइणोसावा निण्हव पढमे बिइए य हुंति भंगे यो केवलनाणे तित्थंकरस्स नोकप्पड़ क्यं तु॥७॥ पत्तेयबुद्ध निण्हव उवासए केवलीवि आसज्ज। खइयाइए य भावे पडुच्च भंगे 3 जोएजा॥८॥ जत्थ उ तइओ भंगो तत्थ न कप्पं तु सेसए भया। तित्थंकरकेवलिणो जह कप्पं नो. य सेसाणं॥९॥ किं तं आहाकम्मति पुच्छिए तस्सरूवकहणत्यासंभवपदरिसणत्थं च तस्स असणाइयं भाइ॥१६०॥ In श्री पिण्डनियुक्ति सूत्र पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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