Book Title: Agam 41 Mool 02 Ogh Pind Niryukti Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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होइ पुरिसो दुगाइछट्ठाणपज्जवसिएसुं।अपुमंतु तिभागाइं सत्तमभागे अवसिते ॥४॥दुविहो य होइ भावो लोइय लोउत्तरो समासेणी एक्किक्कोविय दुविहो पसत्थओ अप्पसत्थो यो५॥ सझिलगा दो वणिया गाम गंतूण करिसणारंभो। एगस्स देहमंडणबाउसिआ भारिया अलसा॥६॥ मुहयोवण दंतवणं अहागाईण कल आवासो पुव्वण्हकरणमप्पण उक्कोसयरं च मझण्हे ॥७॥ तणकट्ठहारगाणं न देइ न य दासपेसवग्गस्सा न य पेसणे निउंजइ पलाणि हिय हाणि गेहस्स॥८॥ बिइयस्स पेसवगं वावारे अनपेसणे कम्मे काले देहाहारं सयं च उवजीवई इड्ढी॥९॥ वनबलरूवहे आहारे जो तु लाभ लभते। अतिरेगन 3 गिण्हइ | पाउग्गगिलाणमाईणी५००॥जह सा हिरण्णमाइसु परिहीणा होइ दुक्खआभागी एवं तिगपरिहीणा साहू दुक्खस्स आभागी॥१॥ आयरियगिलाणहा गिण्ह न महंति एव जो साहू नो वनरूवहेउं आहारे एस 3 पसत्थो॥२॥ उग्गमउप्यायणएसणाए बायाल होति | अवराहा।सोहेउं समुयाणं पडुपने वच्चए वसहिं ॥३॥ सुन्नघरदेउले वा असई य उवस्सयस्स वा दारे। संसत्तकंटगाई सोहेउमुवस्सगं| | पविसे ॥४॥ संसत्तं तत्तो च्चिय परिवेत्ता पुणो दवं गिण्हे। कारण मत्तयगहियं पडिग्गहे छोद पविसणया॥५॥ गामे य कालमाणे पहुच्चमाणे हवंति भंगठ्ठो काले अपहप्ते नियत्तई सेसए भयणा॥६॥ अण्णं च वए गाभं अण्णं भाणं व गेण्ह सइ काले। पढमे वितिए छप्पंचमे य भय सेस य नियत्ते॥७॥वोसिठ्ठमागयाणं उव्वासिय मत्तए य भूमितियो पडिलेहियमत्थमणं सेसऽथमिए जहनो३॥८॥भुत्ते वियारभूमी गयागयाणं तुजह यओगाहे।चरमाए पोरिसीए उक्कोसो सेस मज्झिमओ॥९॥पायप्पमज्जण निसीहिया ॥श्री ओघनियुक्तिसूत्र॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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