Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra
Author(s): A N Upadhye, Hiralal Jain
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur
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तिलोयपण्णत्तिका गणित
कहा गया है और एक स्कंध के अर्द्ध भाग को देश तथा चतुर्थ भाग को प्रदेश कहा गया है। स्कंध के अविभागी अर्थात् जिसका और विभाग न हो सके ऐसे अंश को परमाणु कहा है ( गाया ९५ )। यह परमाणु आकाश के बितने क्षेत्र को घेरे (रोके ) उसको प्रदेश कहते हैं।
अन्य मापों का निरूपण इस भांति है८ उवसनासन्न स्कंध
१ सन्नासन्न स्कंध ८ सन्नासन्न स्कंध
१ त्रुटिरेणु स्कंध ८ त्रुटिरेणु "
१ त्रसरेणु " ८ त्रसरेणु "
१ रथरेणु " ८ रथरेणु "
१ उत्तम भोगभूमि का बालान ८ उ. भो. वा.
१ मध्यम मोगभूमि" " ८म. भो. बा.
१ जघन्य " " " ८. भो. बा.
१ कर्मभूमि का बालाग्र ८ कर्मभूमि के बालान
१ लीक ८ लीके
१ अंगुल इस परिभाषा से प्राप्त अंगुल, सूची अंगुल (सूच्यंगुल) कहलाता है, जिसकी संदृष्टि ( Sym. bol) २ मान ली गई है। यह अंगुल उत्सेध सूच्यंगुल भी कहा जाता है, जिसे शरीर की ऊंचाई आदि के प्रमाण जानने के उपयोग में लाते हैं।
पांच सौ उत्सेध अंगुलों का एक प्रमाणांगुल माना गया है जिससे दीप, समुद्र, नदी, कुलाचल आदि के प्रमाण लेते हैं।
एक और प्रकार का अंगुल, आत्मांगुल भी निश्चित किया गया है जो भरत और ऐरावत क्षेत्रों में होनेवाले मनुष्यों के अंगुल प्रमाणानुसार भिन्न भिन्न कालों में भिन्न भिन्न हुआ करता है। इसके द्वारा छोटी वस्तुओं (जैस झारी, तोमर, चामर आदि) की संख्यादि का प्रमाण बतलाते हैं।
बहां जिस अंगुल की आवश्यकता हो, उसे लेकर निम्न लिखित प्रमाणों का उपयोग किया गया है
६अंगुल-१ पाद: २ पाद-१ वितस्ति: २वितस्ति-१ हाथ: २हाथ:१रिक्क. २ रिक्क-१दण्ड; १ दण्ड या ४ हाथ-१ धनुष -१ मूसल =१ नाली:
२००० धनुष = १ क्रोश ४ कोश = १ योजन. reted as the atom of modern Chemistry, although originally the word was invented by the Greek philosopher Democritus ( 420 B.C.) to denoto something which oonld not be sub-divided (atom-a, not%3 ceuva I out).........But since the stom of chemistry has now been proved to be & Conglomeration of proton, neutrons and electrons, I venture to suggest that Parmanus are really these elemontary particles wich exist by themselves, or if at any future date & subelectron were to be dis. covered that should then be interpreted as the Paramang of the Jains."
... १ प्रदेश को त्रिविम आकाश (Three Dimensional Space ) की इकाई माना गया है बिसे पदार्थों का क्षेत्रमाप लेने के उपयोग में लाते हैं।
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