Book Title: Agam 08 Ang 08 Anantkrut Dashang Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Divyaprabhashreeji, Devendramuni, Ratanmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 10
________________ प्रकाशकीय भगवद्वाणी के अभ्यासी पाठकों के लिये अन्तकृद्दशांगसूत्र का यह तृतीय संस्करण प्रकाशित करके समिति गौरवानुभूति करती है। समिति को गौरवानुभूति कराने का समस्त श्रेय श्रमणसंघ के सर्वतोभद्र स्वर्गीय युवाचार्य श्री मधुकरमुनिजी म.सा. को है। आपश्री ने अपने सुदीर्घ चिन्तन के द्वारा भगवद्वाणी को अपनी मूलभाषा प्राकृत के साथ-साथ सर्वमान्य लोकभाषा हिन्दी में अर्थ, भावार्थ, विवेचन, टिप्पणी सहित प्रकाशित करने की प्रेरणा दी। यद्यपि आपश्री आज हमारे बीच नहीं हैं, किन्तु उनके वरद आशीर्वाद एवं प्रकाशन की निर्धारित रूपरेखा हमारी मार्गदर्शक है। तद्नुसार आगम- साहित्य को प्रकाशित कर अपनी कृतज्ञता व्यक्त कर रहे हैं तथा श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। इसी प्रसंग में हमें यह उल्लेख करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि समाज के प्रत्येक बंधु ने सहयोग देकर जिनवाणी के इस प्रचार-प्रसार के अनुष्ठान का अनुमोदन किया है एवं हमें कार्य करने की प्रेरणा दी। विद्वानों के प्रति हम अपना प्रमोदभाव प्रकट करते हैं। उनके सहयोग से समिति अपने कार्य को सम्पन्न करने में सफल हुई है। समिति पुनः पुनः उनका अभिनंदन करती है। अन्तकृद्दशांग-सूत्र का अनुवाद सुविख्यात साध्वीरत्न स्वर्गीय श्री उज्ज्वलकुमारीजी म. की सुशिष्या एवं आचार्य सम्राट राष्ट्रसंत श्रद्धेय स्वर्गीय आनन्दऋषिजी म.सा. की आज्ञानुवर्तिनी विदुषी साध्वीश्री दिव्यप्रभाजी. म. एम.ए., पीएच.डी. ने किया है। साध्वीश्री की मातृभाषा गुजराती है, लेकिन जिस प्रभावक शैली में हिन्दी अनुवाद आदि प्रस्तुत किया है, वह आपकी विद्वत्ता एवं भाषाविज्ञता का परिचायक है। समिति आपकी व आपके प्रयास की भूरि-भूरि प्रशंसा करती है। स्वर्गीय आचार्यप्रवर श्री देवेन्द्रमुनि जी म.सा. शास्त्री का हम पुण्यस्मरण करते हैं कि आप द्वारा लिखित प्रत्येक आगम ग्रंथ की प्रस्तावना अपने आप में एक ग्रंथांश हैं। वे ग्रंथ के अंतरंग को उद्घाटित करने के साथसाथ अनेक महत्त्वपूर्ण उल्लेखों को प्रस्तुत करते हैं। जो साहित्य का तुलनात्मक अध्ययन करने वालों के लिए उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण हैं। .. ___ अंत में समिति अपने सभी पाठकों और स्वाध्यायी बंधुओं से यह निवेदन करती है कि आगम ग्रंथों के तृतीय संस्करण के प्रकाशन का कार्य अबाधगति से चल रहा है। आशा है कि यथाशीघ्र आगम बत्तीसी के सभी ग्रंथ आपको उपलब्ध करा देंगे। आपका सहयोग हमें उत्साहित करता रहे यही आकांक्षा है। सागरमल बैताला अध्यक्ष रतनचंद मोदी कार्याध्यक्ष जी. सायरमल चोरड़िया महामंत्री ज्ञानचंद विनायकिया मंत्री . श्री आगमप्रकाशन समिति, ब्यावर (राजस्थान)

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