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समर्पण
जो प्रकृष्ट प्रतिभा से विभूषित थे, संयम जिनका सर्वस्व था, जिन्होंने अपनी आगमानुस्यत धर्मदेशना से रूढ़ परम्पराओं में चैतन्य का संचार किया, धर्म के विराट् स्वरूप का ‘बोध कराया, जिनका व्यक्तित्व अनठा था, जो अष्टविध गणिसम्पदा से सम्पन्न थे, उन युगप्रवर्तक
ज्योतिर्धर, स्व0 आचार्यवर्य श्रीजवाहरलालजी महाराज के
कर-कमलों में
सादर सविनय
-मधुकर मुनि