Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 22
________________ ४२४ म सप्तम शतक : तृतीय उद्देशक : स्थावर ३६८-३८३ वनस्पतिकायिक जीवों का आहारकाल वनस्पतियों में अनन्तजीवत्व लेश्या की अपेक्षा अल्पकर्म-महाकर्म ३७२ वेदना और निर्जरा ३७५ जीदों की शाश्वतता-अशाश्वतता ३८२ हाथी और कुंथुए के समान जीव चौबीस दण्डकवर्ती जीवों द्वारा कृत __ पापकर्म दुःखरूप 'संज्ञाओं के दस प्रकार नैरयिकों की दस वेदनाएँ अप्रत्याख्यानिकी क्रिया आधाकर्म का फल ४२६ ३७१ ४२८ ४२९ सप्तम शतक : चतुर्थ उद्देशक : जीव ॐ षड्विध संसारसमापन्नक जीव सप्तम शतक : पंचम उद्देशक : पक्षी खेचर-पंचेन्द्रिय जीवों के भेद ३८४-३८५ ३८४ ३८६-३८८ ४३१ ४३३ सप्तम शतक : नवम उद्देशक : असंवृत ४३१-४५२ असंवृत अनगार महाशिलाकण्टक संग्राम महाशिलाकण्टक संग्राम का स्वरूप रथमूसल संग्राम शक्र-चमरेन्द्र के सहयोग का हेतु क्या युद्ध करते मरने पर स्वर्ग मिलता है? ३८६ नाम 55555555555555555))))))))))))))))))))))) सप्तम शतक : छठा उद्देशक : आयु ३८९-४०८ आयुष्य का बन्ध और वेदन ३८९ महावेदना-अल्पवेदना ३९१ अनाभोगनिर्वर्तित आयुष्य ३९३ कर्कश-अकर्कश वेदनीय साता-असाता वेदनीय कर्म ३९६ भरत में दुःषम-दुःषम काल का प्रभाव ३९९ छठे आरे के मनुष्यों के आहार आदि ४०४ ३९४ ४५३ सप्तम शतक : दशम उद्देशक : अन्ययूथिक ४५३-४६६ कालोदायी की चर्चा और प्रव्रज्या पापकर्म और पुण्यकर्म ४५९ अग्नि को जलाने और बुझाने की क्रिया अचित्त पुद्गलों का प्रकाश ४६३ ४०९-४२३ अष्टम शतक : प्रथम उद्देशक: पुद्गल ४६७-५३६ सप्तम शतक : सप्तम उद्देशक : अनगार संवृत्त अनगार और क्रिया काम-भोग सम्बन्धी विचारण छद्मस्थ एवं केवली अकाम वेदना का वेदन ४६७ ४०९ ४१० ४१७ ४२० संग्रहणी गाथा पुद्गल परिणामों के तीन प्रकार नौ दण्डकों द्वारा प्रयोग-परिणत पुद्गलों का निरूपण प्रथम दण्डक दूसरा दण्डक तृतीय दण्डक ४६९ ४६९ सप्तम शतक : अष्टम उद्देशक : छमस्थ छद्मस्थ सिद्ध नहीं होता ४७ ४२४-४३० ४२४ (14) %%%%%%%%%牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙自 B%%%%%%%%%% Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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