Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan
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5 कषाय द्वार
ज्ञान द्वार
योग द्वार
5 उपयोग द्वार
वेद द्वार
फ्र शरीर द्वार
पर्याप्त द्वार उपसंहार
5 जीव और प्रत्याख्यान
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प्रत्याख्यान निबद्ध आयु
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फ्र उपसंहार गाथा
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फ्र छटा शतक छठा उद्देशक भव्य 5
# पृथ्वियाँ और अनुत्तर विमान
6 मारणान्तिक समुद्धात
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छठा शतक पंचम उद्देशक तमस्काय २५१-२७२
तमस्काय क्या, कैसी है ?
आठ कृष्णराजियाँ
छटा शतक सप्तम उद्देशक शाली
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5 धान्यों की योनि -स्थिति
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गणनीय काल : मुहूर्त्त का मान
6 औपमिक काल का स्वरूप उत्सर्पिणी-अवसर्पिणी
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5 सुषम- सुषमाकालीन भारतवर्ष के भाव
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5 छठा शतक अष्टम उद्देशक पृथ्वी
:
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5 रत्नप्रभादि पृथ्वियों के नीचे
5 देवलोकों के नीचे
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जीवों के आयुष्य का बन्ध
असंख्यात द्वीप-समुद्र द्वीप समुद्रों के शुभ नाम
२३४ छटा शतक नवम उद्देशक कर्म :
२३६
२३८
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२४६
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२४८
२५०
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२५१
२६०
२७३-२७९
२७३ २७४
२८० - २९०
२८०
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२९१-३०५
२९१
२९४
२९८
३०३
३०४
कर्मबन्ध के प्रकार
महर्द्धिक देवों की विकुर्वणा
देवों की जानने-देखने की क्षमता
छटा शतक दशम उद्देशक
अन्यतीर्थी
सुख-दुःख का प्रदर्शन सम्भव नहीं
जीव और प्राण का स्वरूप
जीवों की सुख-दुःख धारणा नैरयिकादि का आहार
केवली अनिन्द्रिय होते हैं
उपसंहार की संग्रहणी गाथा
उपोद्घात
अनाहार और सर्वाल्पाहार का काल
लोक के संस्थान
श्रमणोपासक की कितनी क्रिया
श्रमणोपासक का व्रत - प्रत्याख्यान श्रमणों को दान देने का लाभ कर्मरहित जीव की गति
दुःख की स्पृष्टता
अनगार को साम्परायिकी क्रिया
अंगारादि दोषयुक्त पान - भोजन शस्त्रातीत आदि दोष
सुप्रत्याख्यानी और दुष्प्रत्याख्यानी
प्रत्याख्यान के भेद-प्रभेद
प्रत्याख्यानी - अप्रत्याख्यानी
३०६
३०६-३१४ फ्र
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३११
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३१५-३२३
३१५
३१७
३२०
सप्तम शतक : प्रथम उद्देशक : आहार ३२४-३४९
३२१
३२२
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३२४
३२४
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३२९
३३१
३३४
३३२ फ्र
३४१
सप्तम शतक : द्वितीय उद्देशक : विरति ३५०- ३६७
३४५
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३३८ फ्र
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३३९ 5
३५३
३५७
संयत तथा प्रत्याख्यानी आदि का अल्प - बहुत्व ३६४ जीवों की शाश्वतता - अशाश्वतता
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३६६
३५० फ्र
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