Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 13
________________ दूसरा उद्देशा४२ समुद्घातके स्वरूपका निरूपण ७५४-७७० तीसरा उद्देशक ४३ तीसरे उद्देशेकी अवतरणिका ७७१-७७२ ४४ पृथिव्यादिके स्वरूपका निरूपण ७७३-७७९ चौथा उद्देशा ४५ चौथे उद्देशेकी अवतरणिका ७८०-७८१ ४६ इन्द्रियों के स्वरूपका निरूपण ७८२-७९२ पांचवा उद्देशा ४७ अन्य मतवादीयों के मतका खंडनपूर्वक स्वमतका निरूपण ७९३-८१३ ४८ गर्भके स्वरूपका निरूपण ८१४-८१७ ४९ कायभवत्थके स्वरूपका निरूपण ८१८-८१९ ५० मनुष्यादि गर्भके कालका निरूपण ८२० ५१ जीव एक भवमें कितने पिताके पुत्र हो सकता हैं ? इस विषयका निरूपण ८२१-८२९ ५२ मैथुन सेवनसे असंयमके कारणका निरूपण ८३०-८३२ ५३ तुङ्गिका नगरनिवासी श्रावकोंका वर्णन ८३३-८५१ ५४ पार्थापत्यीयस्थविरोंका वर्णन ८५२-८७२ ५५ पार्थापत्यीयस्थविरों के दर्शनोत्सुक जनसमूहका निरूपण ८७३-८८२ ५६ स्थविरोंकी धर्मोपदेशना का निरूपण ८८३-९०२ ५७ तुङ्गिका नगरीसे विहारके अनन्तर पश्वापत्थीय स्थविरोंका वर्णन ९०३-९३७ ५८ श्रमणपर्युपासनाके फलका निरूपण ९३८-९४५ ५९ मृषावादीके स्वरूपका निरूपणम् ९४६-९५६ छट्ठा उद्देशा ६० भाषा के स्वरूप निरूपण ९५७-९६. શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૨

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