Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra
Author(s): Sumanbai Mahasati, Shobhachad Bharilla
Publisher: Jinagam Prakashan Samiti
View full book text
________________
१०४
६९१ एवं चउदिसिंपि वेजयंत-जयंत अपरा-
जियं ति। ६९२ समणे भगवं महावीरे अंतिमगइयसि
पणपन्नं अज्झयणाई कल्लाणफलविवागाइं पणपन्नं अज्झयणाई पावफल विवागाई वागरित्ता सिद्धे-जाव-सव्व
दुक्खप्पहाणे । ६९३ पढम-विइयासु दोसु पुढवीसु पणपन्नं
निरयावास-सय-सहस्सा पण्णत्ता। ६९४ दंसणावरणिज्ज नामाउयाणं तिण्हं कम्म-
पगडोणं पणपन्नं उत्तरपगडीओ पण्णत्ताओ।
१६१ प्रमाणे वैयत, यात अने.
અપરાજિત દ્વારનું અંતર છે. १८२ श्रम मावान् महावी२ मतिभ रात्रे
પંચાવન અધ્યયન કલ્યાણ-ફલ-વિપાકના પંચાવન અધ્યયન પાપ-ફલ-વિપાકના કહીને સિદ્ધ યાવત્ સર્વ દુઃખોથી મુકત थय। छ.
१८३ पडेली मने भी पृथ्वीमामा
मणीने पायावन ना२वास छे. १८४४शन।२०ीय, नाम भने मायु २॥ त्राण
તિઓની મળીને પંચાવન ઉત્તર પ્રકૃતિઓ છે.
છપનમો સમવાય ६९५ जंबुद्दीवेणं दीवे छप्पन्नं नक्खत्ता चंदेण १८५०४ मूढीमा ७५न नक्षत्रोन। यद्रमा सद्धिं जोगं जोइंस वा, जोडंति वा. साथ योग थयो छ, तभानमा थाय छ
અને ભવિષ્યમાં થશે. जोइस्संति वा। ६९६ विमलस्स णं अरहओ छप्पन्नं गणर, १८६ पति विमलनाथना ७.५न गए भने छप्पन्नं गणहरा होत्था।
छ"पन गणधर ता.
સત્તાવન સમવાય ६९७ तिण्डं गणिपिडगाणं आयारचलियाव-१७ मायारागनी यति छोटीन -
ज्जाणं सत्तावन्नं अज्झयणा पण्णत्ता। પિટકના સત્તાવન અધ્યયને છે-આચાतंजहा
संग, सूत्रता, स्थानां. आयारे, मूयगडे, ठाणे। ६९८ गोथूभस्स णं आवासपवयस्स पुरच्छि- १८८ गास्तू५ मावास पतना पूर्वायरमा-तथा
मिल्लाओ चरमंताओ वलयामुहस्स महा- વલયામુખ પાતાલ કલશના મધ્યભાગનું पायालस्स बहुमज्झदेसभाए एस णं અવ્યવહિત અંતર સત્તાવન હજાર सत्तावन्नं जोयण-सहस्साई अवाहाए જનનું છે. अंतरे पण्णत्ते।
Jain Educationa international
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org
![](https://s3.us-east-2.wasabisys.com/jainqq-hq/f970bd62cd893b41c05d6ac066bd56b3c99f247d45b7804f9f9f83507512a424.jpg)
Page Navigation
1 ... 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240