Book Title: Agam 04 Ang 04 Samvayang Sutra
Author(s): Sumanbai Mahasati, Shobhachad Bharilla
Publisher: Jinagam Prakashan Samiti
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૧૩૩
ત્રણસોમો સમવાય
च्या .
९१९ सुमई णं अरहा तिणि धणु-सयाई उडु ८१८ सुमतिनाय नपान शुसो (३००)
धनुष्य या ता. उच्चत्तणं होत्था। ९२० अरिट्टनमी णं अरहा तिणि वास-सयाइं ८२० मरिडत मरिटभित्रणसे व १२ __ कुमारवासमझे वसित्ता मुंडे-जाव
પદે રહીને મુંડિત થયા યાવત્ પ્રવ્રજિત पव्वाइए। ९२१ वेमाणियाणं देवाणं विमाणपागारा तिणि ८२१ वैमानि वोन विमानाना २ असो
जरासे यान या छ. तिणि जोयण-सयाई उड्डूं उच्चत्तेणं
पण्णत्ता। ९२२ समणस्स भगवओ महावीरस्स तिणि ८२२ श्रूम मसवान महावीरना से सयाणि चोदसपुवीणं होत्था ।
यौहपूर्वी भुनीसा ता. ९२३ पंचधणु-सइयस्स णं अंतिमसारीरियस्स ८२3 सिध्याति प्राप्त पायस धनुष्यनी सिद्धिगयस्स सातिरेगाणि तिणि धणु
અવગાહનાવાળા ચરમ શરીરી જીવોના
જીવપ્રદેશની અવગાહના થોડા વધારે सयाणि जीवप्पदेसोगाहणा पण्णत्ता। ત્રણસે ધનુષ્યની હોય છે.
સાડાત્રણસો સમવાય ९२४ पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स ८२४ ५३पाहानीय पवनायना यो धाश
अटुट्ठसयाइं चोदस-पुव्वाणं संपया साधुसे। (3५०) मुनिया हता, होत्था ।
९२५ अभिनंदणे णं अरहा अटुट्ठाई धणु-सयाई
उडु उच्चत्तेणं होत्था।
८२५ अति मलिनन सत्र से धनुष्य
ઉંચા હતા,
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